तहज़ीब का मसला

15-07-2021

तहज़ीब का मसला

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 185, जुलाई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

एक पाकिस्तानी धारावाहिक में साक्षात्कार के लिए आमंत्रित सफ़ाई कर्मी से मेज़बान पूछता है, "आप कैसे हैं?

यह सुनकर वह सफ़ाई कर्मी बोला, "आप मेरी बेइज़्ज़ती कर रहे हैं? आपको पूछना चाहिए, ’तू कैसा है’?"

मेज़बान बोला, “आप मेहमान हैं। मैं आपको तू कैसे कह सकता हूँ?”

वह बोला, “आप वही बोलिए जो मैं आज तक सुनता आया हूँ। मैं तो बचपन से यही सुनता आया हूँ - ओय तू कैसा है? ओय तू कल किधर था?....ये कचरा क्या तेरा पियो उठाएगा?”

वह साक्षात्कार चालू था और मैं सोच रहा था कि देश का विभाजन होने के बावजूद हम और पाकिस्तानी ग़रीबों से तहज़ीब के मामले में आज भी एक जैसे हैं।   

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