नज़र लागी राजा
दिलीप कुमार"नज़र नवाज़ नज़ारा ना बदल जाए कहीं
ज़रा सी बात है, मुँह से ना निकल जाए कहीं"
जी हाँ बात ज़रा सी थी मगर बहुत सुर्ख़ियाँ बटोर लायी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राफ़ेल पर नींबू की नज़र क्या उतारी, सोशल मीडिया में एक से एक तमाशे शुरू हो गए। राजनाथ सिंह को लोगों ने मज़ाक में कहा कि बिन डीज़ल को रिप्लेस कर सकते हैं अपनी वेशभूषा से। आलोचना तो कम हुई मगर मीम्स की बाढ़ आ गयी। तब लोगों को पता चला कि भारतीय ट्रक वाले कितने रोमांटिक बन्दे होते हैं और उन वाहनों को पेंट करने वाले कितने क्रिएटिव। अब अगर ट्रक पर लिखी बातों को राफ़ेल पर लिख दिया जायेगा तो कल्पना करें कितनी लुभावनी तस्वीर होगी राफ़ेल की। जैसे कि-
"मालिक की मेहनत, ड्राइवर का पसीना
रोड पर चलती है, बनकर के हसीना"
राफ़ेल पर लिखा होगा-
राफ़ेल को ख़रीदा है, बनेगा ये देश का नगीना
अभिनंदन उड़ायेगा तो आयेगा पाक को पसीना"
फिर लिखा होगा, "हॉर्न, ओके, प्लीज़"
अगली सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान के आतंकी कैंप में मारे जाने के बाद, इमरान खान नियाजी यूनाइटेड नेशन्स में ये मुद्दा उठाएँगे कि राफ़ेल ने दहशतगर्दों को मारने से पहले ना तो हार्न दिया, ना आने से पहले ओके करके इंट्री ली और प्लीज़ कहने के बाद भी आंकवादियों के कैम्प नष्ट कर डाले अब भारत को समझाएँ प्लीज़।
अगली तहरीर राफ़ेल पर होगी कि
"जगह मिलने पर पास दिया जाएगा"
ये सबसे कंफ्यूज़िंग बात है कि वो जगह पाक अधिकृत कश्मीर है या अक्साई चिन, क्योंकि राफ़ेल को अगर काम दिखाने की जगह मिल गयी तो वो इन दोनों जगहों को हिंदुस्तान के पास ला सकता है।
भारतीय ट्रकों के बोनट पर अक्सर लिखा होता है -
"ड्राइवर की ज़िंदगी में लाखों इल्ज़ाम होते हैं
निगाहें साफ़ होती हैं, फिर भी बदनाम होते हैं"
राफ़ेल के इंजन पर एक तहरीर लिखने का सुझाव ये भी आया है -
"आतंकी शिविरों पर हज़ार किलो का बम गिराना बड़ा काम होता है
आतंकियों को घर में घुसकर जो मारेगा, उसका भी बड़ा नाम होता है"
एक बेहद शायरमिज़ाज टैक्टर ट्राली वाले ने राफ़ेल के लिये चंदा देने की और अपने टेम्पो की शायरी के बारे में लिखा है-
"चलती है गाड़ी तो उड़ती है धूल
हसीनों के बालों में खिलते हैं फूल"
उसने सुझाव दिया है कि राफ़ेल के पिछले हिस्से पर लिखा जाये कि
"उड़ेगा जो राफ़ेल तो आतंकियों को मिलेगी हूल
इस पुष्पक विमान पर, बहस है बेमानी और फ़िजूल"
राफ़ेल पर क्या लिखा जाए इस पर एक आशिक़ मिज़ाज अपने टेम्पो वाले भाई क्यों पीछे रहते, उन्होंने अपने टेम्पो पर लिख रखा था -
"आपके लवली पिंक होंठ आपकी ब्यूटी है
और उनको निहारते रहना हमारी ड्यूटी है"
टेम्पो वाले भाई साहब ने राफ़ेल के लिये रुपये और शायरी सुरक्षित कर दिया है जो वो भेजेंगे -
"फ्रांस का फ़ैशन अब हिंदुस्तान की ब्यूटी है
"चुन चुन के मारेगा राफ़ेल ये उसकी ड्यूटी है"
बात यहीं तक होती तो ग़नीमत थी, सबसे ज़्यादा आपत्ति तो बालाकोट वाले हज़रात को है जो राफ़ेल पर "फिर मिलेंगे" लिखे जाने से ख़ासे आहत हैं क्योंकि बिना राफ़ेल के दो सर्जिकल स्ट्राइक हो चुके हैं। अब वैज्ञानिक सोच वाले मुल्क पाकिस्तान की फ़र्स्ट लेडी बुशरा बीवी नियाजी के पास दो ही ऑफिशियल जिन्न थे; जिससे, बकौल पहला उन्होंने हिंदुस्तान की पहली सर्जिकल स्ट्राइक को होने ही नहीं दिया; दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक उन्होंने अपने दूसरे जिन्न से बालाकोट में पेड़ों पर करवा दी थी, वाह रे बेगम के जिन्न! ये वैसा ही है जैसे कि 1971 की जंग में पाकिस्तान का रेडियो ख़बरें प्रसारित करता था कि भारत की वायुसेना जो बम गिराती है, उसे फ़रिश्ते ज़मीन पर पहुँचने से पहले ही लपक लेते हैं और उन बमों को दरिया-ए-रावी में फेंक देते हैं। पाकिस्तान फरिश्तों से चला है और जिन्नों की कारगुजारियों से महफ़ूज़ होने की कोशिश कर रहा है। दो ही जिन्न, दोनों सर्जिकल स्ट्राइक में दोनों जिन्न फ़ना हो गए और उस पर तुर्रा ये कि राफ़ेल पर लिखेंगे, फिर मिलेंगे, रब ख़ैर करे।
इधर दिल्ली सब्ज़ी मंडी में घोड़ा-गाड़ी वाले एक मस्तमौला बन्दे ने कहा कि "नींबू तो ठीक है, हरा मिर्चा क्यों नहीं, नज़र बराबर उतरती, बिक्री भी बढ़ती"।
एक सबसे ज़्यादा लोकप्रिय इबारत ट्रक वालों ने वापस ले ली है कि -
"बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला"
ऐसा इसलिये वापस ले लिया गया है कि बकौल फ़ेयरनेस क्रीम के अब भारत में उन्होंने सब कुछ गोरा-गोरा कर दिया है।
इस सब बतकही से परेशान एक पचास साल के लाडले लड़के के मन में एक सवाल कुलबुला रहा है कि "जब भारत में इतने अच्छे मिक्सर ग्राइंडर हैं तो शिकंजी बनाने के लिये नींबू को राफ़ेल के टायर के नीचे रखने की ज़रूरत क्या थी?"
सवाल बहुत मार्के का है, वल्लाह इस सवाल पूछने वाले को नज़र का टीका लगाने के लिये मैं काजल ढूँढ़ने जा रहा हूँ और इस सवाल पर मेरे मुँह से इस लाडले के लिये बस यही दुआ निकल रही है-
"ख़ुदा आपको नज़रे बद से बचाये
कहीं दुश्मनों की नज़र ना लग जाये"!
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