क़ुदरत का निज़ाम

01-12-2023

क़ुदरत का निज़ाम

दिलीप कुमार (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

पाकिस्तान की एक रिपोर्टर क़ुदरत बलोच ने वहाँ के निवर्तमान कप्तान बाबर आजम से पूछा, “अब आप कप्तान नहीं रहे, ये कैसा क़ुदरत का निज़ाम है?” 

 

बाबर:       “देखें जी क़ुदरत ये निज़ाम नहीं आजम है। आप बलोच लोग जानबूझकर आजम को निज़ाम कहती हैं। बलोच लोग इंडिया से मिले हुए हैं और इसीलिये हमारे नाम को बिगाड़ते रहते हैं। माना पाकिस्तान के पंजाबी पाकिस्तानियों को इंडिया में वर्ल्ड कप का वीसा नहीं मिला मगर बलूचिस्तान वाले लोग तो इंडिया में काफ़ी ज़्यादा हैं तो उन्होंने हमें सपोर्ट क्यों नहीं किया, पहले क़ुदरत आप हमें ये बताएँ ?” 

 

क़ुदरत:       “सुना है शुरू में आपकी टीम को इंडिया में मनपसंद गोश्त खाने को नहीं मिला। पाकिस्तान में कुछ लोग तो कहते हैं कि इसीलिये आप इतने मैच हार गए।” 

 

बाबर:       “देखें जी, मनपसंद गोश्त की क्या बात कर रही हैं आप? वहाँ तो कोई गोश्त की बात ही न कर रहा था, जब हम इंडिया में थे तब काफ़ी टाइम तो नवरात्र चल रहा था। तब वहाँ पर तो लोग दूध-फल ही ख़ा रहे थे बहुत सारी दूसरी टीमों के प्लेयर भी। और इंडिया के प्लेयर तो यही शाकाहारी खा कर जीत भी रहे थे तो हमने सोचा कि हार का सिलसिला तो बदल नहीं पा रहे हैं तो अपने खाने का मेन्यू ही बदलकर देखते हैं। शायद इसी वजह से जीत नसीब हो जाये।” 

 

क़ुदरत:        “ओह लोगों को कहते सुना है कि आपकी टीम को होटल का खाना पसंद नहीं आया इसलिये आप लोगों ने कोलकाता में बाहर से बिरयानी मँगवा कर खाई।” 

 

बाबर:        “देखें जी, दुनिया-जहान के लोग पाकिस्तानी टीम के इंडिया में सिर्फ़ खाने की ही बातें कर रहे हैं। मानों हम जन्म के भुक्खड़ हों वहाँ सिर्फ़ खाना खाने ही गए हों। ऐसी बात नहीं है बस लोगों की आदत है कि पाकिस्तानियों के खाने को इश्यू बना देते हैं। जब भी कोई टीम मैच हारती है तो लोग सोशल मीडिया पर उस टीम को ‘गुडलक नेक्स्ट टाइम’ बोलते हैं पर हमारी टीम जब हारती है तो सोशल मीडिया पर लोग मीम शेयर करके हमको कहते हैं कि ख़ूब खाई मुफ़्त की बिरयानी। अब आगे न मिलेगी कभी। कहो पाकियों कितना आटा भेजूंँ? ला हौला व ला . . . अब कोलकाता में बिरयानी की जो बात आपने पूछी? मुझे तो ये इंडिया के रा की गहरी साज़िश लग रही है।” 

 

कुदरत:       “आपके बिरयानी खाने में इंडिया की साज़िश कैसे हो गई? क्या उन्होंने बिरयानी में कोई ऐसी दवा मिला दी थी जिसे खाकर पाकिस्तानी टीम की परफॉर्मेंस कमज़ोर हो गई और वो अपने मैच हार गई?” 

 

बाबर:       (कुछ सोचते हुए बोला) “देखें जी, दवा का तो पता नहीं मगर इंडिया की रा ने अगर बिरयानी पर कोई दुआ की होती, तो हमारे पास टीम में मौलवी मोहम्मद रिजवान हैं जो फूँक मारकर दुआ नज़र उतार देते हैं। ये और बात है कि विकेटकीपिंग में उनकी दुआ और फूँक काम न करती और बल्लेबाज़ आउट न होते। 

 

कुदरत:       “आप पाकिस्तान की अज़ीम हस्तियों में से एक हैं। थोड़ा संजीदा गुफ़्तुगू कीजिये। आप अपने मुल्क के लोगों को कैसे समझाएँगे कि बिरयानी में इंडिया की रा ने साज़िश कर दी और कर दी है तो उसके के बारे में डिटेल से बताएँ?” 

 

बाबर:        “जी हमें इंडिया की रा की साज़िश का शक था। उन्होंने इंडिया के प्लेयर्स को हल्की गेंदे और स्प्रिंग लगे बल्ले दिए, ये बात पाकिस्तान में अब बहुत से लोग कह ही रहे हैं। पर अब लगता है कि खाने में इंडिया में कोई साज़िश नहीं हुई। इंडिया के लोग कहते थे खा लो दबा के क्या पता कल टीम में हो न हों। तो हम खा ही रहे थे दबा के। हुआ यूँ कि बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों बहुत बुरी तरह अपने मैच हार रहे थे। दोनों की बहुत बेइज़्ज़ती हो रही थी। बेइज़्ज़ती जब साझी हो जाती तो दुख-दर्द कम हो जाता। तो जब कोलकाता गए तो वहाँ बांग्लादेश के कैप्टन ने हमको ‘माछेर झोल’ खिलाने की दावत दी और पूरी पाकिस्तानी टीम के लिये ‘माछेर झोल’ का ऑर्डर किया। जिस रेस्टोरेंट से शाकिब ने खाना मँगवाया था उसको जब पता लगा कि ये सारे खाने का ऑर्डर पाकिस्तानी टीम के लिये है तो उसने समझा कि शाकिब ने ग़लती से ऑर्डर कर दिया है माछेर झोल का। सभी की तरह उसने भी समझा होगा पाकिस्तानी टीम है तो बिरयानी ही खाएगी। उसने साज़िशन बिरयानी भेज दी होगी। हमने हमेशा की तरह बिरयानी खा ली और हमेशा की तरह मैच भी हार गए तो ये हुई इंडिया में हमारे साथ साज़िश।” 

 

कुदरत:        “लेकिन उसने अगर बंगाली डिश की जगह बिरयानी भेज दी थी तो आपने क्यों खा ली? खाने से पहले देखते नहीं क्या आप लोग?”

 

बाबर:       (क़ुदरत को आग्नेय नेत्रों से घूरते हुए तल्ख़ी से कहा) “देखें जी, बलूचिस्तान अभी पाकिस्तान से अलग नहीं हुआ है जो आप ऐसी ग़ैर ज़िम्मेदाराना बातें कर रही हैं। पाकिस्तान टीम एक बहादुर क़ौम है हम खाने से पहले थाली में ये नहीं देखते कि उसमें क्या है! बस टूट पड़ते हैं उसी तरह हम शाट मारने से न तो सामने ये देखते हैं कि सामने कौन सा गेंदबाज़ है, बस टूट पड़ते हैं भले ही आउट हो जाएँ। सो हमने बिरयानी खा ली और हम हार गए क्योंकि जब-जब हम बिरयानी खाते हैं, हम हारते ही रहे हैं।” 

 

क़ुदरत:       (मुस्कुराते हुए) “अच्छा ये बताएँ कि आप लोग एक मैच में बार-बार हमें क्यों याद कर रहे थे? जबकि आप लोग तो बलोचों से कोई वास्ता नहीं रखना चाहते थे। फिर हमें मदद को क्यों पुकारा?” 

 

बाबर:       (थोड़ा अकड़ते हुए) “देखें क़ुदरत, हम पाकिस्तानी—बलोचों की मदद न करते हैं और न ही उनसे मदद लेते हैं। फिर आपसे मदद का सवाल ही पैदा नहीं होता। आपका नाम क़ुदरत है लेकिन हम आपको नहीं बल्कि क़ुदरत यानी अल्लाह को याद कर रहे थे कि क़ुदरत के निज़ाम से कोई करिश्मा हो जाये और इंडिया में बारिश हो जाये ताकि हमें मैच में पॉइंट न गँवाना पड़े और दो पॉइंट तो हरगिज़ भी गँवाने न पड़ें। और मैच कैंसिल हो जाये तो कम से कम एक पॉइंट तो मिल जाये मगर इंडिया के रा ने यहाँ भी साज़िश कर दी और पानी नहीं बरसने दिया जबकि आसमान में बादल थे। इतने ट्वीट और दुआ के बाद भी क़ुदरत का निज़ाम हमारे हक़ में नहीं रहा इसीलिए तब पूरा पाकिस्तान क़ुदरत के निज़ाम की बात कर रहा था।” 

 

क़ुदरत:       (ये बात सुनकर मंद-मंद मुस्कराई और उसने पूछा) “एक बात बताइये कि वीरेंद्र सहवाग ने आपके आख़िरी मैच ख़त्म होने से पहले ही ‘बाय-बाय पाकिस्तान, पाकिस्तान से ज़िन्दा भाग’ क्यों कहा आप लोगों को? उन्होंने तो टूर्नामेंट और आपके कोटे के मैच होने के पहले ही आपको भगाने की बात करके ये तो बड़ी बेइज़्ज़ती कर दी सहवाग ने आपकी टीम की। और ये भी बताएँ ये ‘ज़िन्दा भाग’ का क्या मतलब था? कहीं आप लोगों को मारने-वारने का प्लान तो नहीं था कोई?” ये कहक़र क़ुदरत खिलखिला कर हँस पड़ी। 

 

बाबर:       (ठंडी साँस लेते हुए) “देखें जी, सहवाग तो है ही बहुत मारने वाला आदमी। पहले भी उसने मार-मार के पाकिस्तान के बालरों का भुर्ता बना दिया था। पहले खेलता था तो मैदान में मारता था। अब रिटायर हो गया तो ट्वीट और टीवी पर कमेंट करके मारे डाल रहा है। जबसे सहवाग कमला पसन्द खाकर ट्वीट करने लगा है तब से तो हमारी और भी बहुत ज़्यादा किरकिरी करने लगा है। ये भी इंडिया की साज़िश है कि सहवाग रहता है तो इंडिया में है लेकिन उसे कहते हैं ‘मुल्तान का सुल्तान’। हमें तो डर है कि ये कमला पसंद वाले मुल्तान में सहवाग के नाम पर अपनी एक फ़ैक्ट्री न लगा दें। ख़ैर जैसा क़ुदरत का निज़ाम, क्या कर सकते हैं? सहवाग, हरभजन, गौतम गंभीर सब तो हमारे जले पर अभी तक नमक छिड़क रहे हैं।” 

 

क़ुदरत:        “आपको तो लोग किंग बुलाते थे फिर अचानक आपकी कप्तानी कैसे चली गई। 

 

बाबर:       “देखें जी, पहली बात तो जब पाक टीम जीत रही थी लोग मुझे किंग बुलाते थे, अब वही लोग मुझे घण्टे का किंग बुलाने लगे हैं। रहा आपका दूसरा सवाल कप्तानी का? ये तो पाकिस्तान के क्रिकेट की रवायत रही कि हम हर वर्ल्ड कप के बाद अपना कप्तान बदल देते हैं। 1992 से यही रवायत है हमारे यहाँ। और ये क़ुदरत का नहीं बल्कि पीसीबी का निज़ाम है।” 

 

क़ुदरत:        “जी वो अफ़ग़ानिस्तान की पाकिस्तान की जीत पर राशिद खान के साथ इरफ़ान पठान का डांस . . .

 

बाबर ने रिपोर्टर की बात को बीच में काटते हुए कहा, “क़ुदरत भाग, क़ुदरत भाग, अगर जान की सलामती चाहती है तो ज़िंदा भाग, बलोच लड़की, रा की एजेंट, क़ुदरत ज़िन्दा भाग।” 

बाबर की चीख पुकार सुनकर क़ुदरत बलोच लाहौर से बलूचिस्तान की तरफ़ बेहिसी से भागी ताकि ज़िंदा बच सके। वो जानती थी कि कल को किसी बलोच को कोई पाकिस्तानी पंजाबी क़त्ल भी कर दे तो पाकिस्तान के लोग उसे क़त्ल नहीं बल्कि क़ुदरत का निज़ाम कहेंगे।

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