तुम वापस कब आओगे?

15-05-2023

तुम वापस कब आओगे?

दिलीप कुमार (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

सूनी आँखें रास्ता देखें 
तुम वापस कब आओगे?
 
गरज-बरस के निकली बदरिया
भीगी मोरी कोरी चुनरिया
फैली उदासी तन-मन में है
शून्य ही शून्य जीवन में है 
याद तुम्हारी घेर के बैठी
 
क्या तुम भी मुझे बिसराओगे
तुम वापस कब आओगे?
 
साँझ-सवेरे हो या भरी दुपहरी
ज़िन्दगी मेरी तुम बिन है ठहरी
जहाँ पे तुमने छोड़ा मुझको
शिलाखंड सा वहीं पड़ी रही मैं 
बन के अहिल्या राह देखती 
 
राम मेरे तुम कब आओगे 
तुम वापस कब आओगे? 
 
दर-दर भटकी जोग में तेरे
विरह-वेदना मन को थी घेरे
चहुँ ओर से धिक्कार मिली बस
कितनी हूँ मैं आहत बेबस 
डोर छूट रही जीवन की अब 
 
मुक्त तो तुम भी न हो पाओगे
तुम कब वापस आओगे?
 
अच्छा, मत आना तुम वापस 
इस ऊसर मन की सूनी घाटी में 
तिल-तिल गलती, मिलती जाती हूँ माटी में 
माटी तो सब कुछ लेती है समेट
शायद अब तुमसे न कभी हो भेंट 
 
क्या तुम भी विस्मृत कर पाओगे 
तुम वापस कब आओगे? 

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