जेन ज़ी
दिलीप कुमार
दुनिया हिला दूँगा, सब कुछ जला दूँगा टाइप का एटीट्यूड रखने वाले जेन ज़ी एक तबक़ा नेपाल में सरकार पलट देने से बहुत उत्साहित है। उसी टाइप के एक जेन ज़ी के पास एक हिंदी के अख़बार का रिपोर्टर पहुँचा। रिपोर्टर हेडफोन लगाए हुए कोरियन पॉप पर झूमते हुए जेन ज़ी को देखकर बुदबुदाया:
“जलते घर को देखने वालों,
फूस का छप्पर आपका है,
आपके पीछे तेज़ हवा है
आगे मुक़द्दर आपका है।”
एक उस्ताद शायर ने जब ये शेर कहा था तब इस दुनिया में जेन ज़ी जेनेरेशन तो थी पर उनको लोग युवा या नौजवान कहा करते थे।
रिपोर्टर ने हाथ हिलाया तो जेन ज़ी हेडफोन कान से निकाल लिया। रिपोर्टर ने जेन ज़ी से पूछा, “आपका खाना पीना कैसे चलता है?”
जेन ज़ी–
“खाना घर पर रहता हूँ तो जोमैटो या स्विगी से आता है। पर मोस्टली मैं आउटिंग पर ही होता हूँ तो वहीं कुछ नूडल्स वग़ैरह खा लेता हूँ। रहा सवाल पीने का तो जब घर पे होता हूँ तो रात को कोल्डड्रिंक ले लेता हूँ। अगर कहीं बाहर कोई इवेंट है और सिर्फ़ ब्यावज हैं तो चिल्ड बियर लेते हैं। और अगर गर्ल्स भी हमारी सर्किल में हैं तो वाइन शेयर कर लेते हैं। बट जब कोई बिग एंड स्पेशल ओकेजन होता है तो व्हिस्की, रम कुछ भी चलता है ये तो बजट के ऊपर है।”
रिपोर्टर–
“मेरा मतलब यह नहीं है था कि आप क्या खाते-पीते हैं? बल्कि मेरा मतलब यह था कि आप के खाने-पीने का ख़र्चा कहाँ से आता है?”
जेन ज़ी–
“मेरे पास डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड है ना। ई-वालेट भी है, उसमें पैसा रखता हूँ। मेरे पास दो फोन हैं। एक में फोन पे चलाता हूँ दूसरे में गूगल पे।”
रिपोर्टर–
“मेरा मतलब है कि इन वालेट्स और एकाउंट्स में पैसा कहाँ से आता है?”
जेन ज़ी–
“डैडी देते हैं तो आता है। क्यों आपके डैडी नहीं हैं क्या, वो आपको स्पॉन्सर नहीं करते क्या?”
रिपोर्टर–
“नहीं भाई, हमें कोई स्पॉन्सर नहीं करता। हमें बस पढ़ाया-लिखाया गया। हमने पढ़-लिख कर पहले ख़ूब बेरोज़गारी झेली। फिर बड़ी मुश्किल से यह एक छोटी सी नौकरी मिली। अब इसी में महीना भर घिसते हैं तब जाकर सेलरी मिलती है जिससे बड़ी मुश्किल से गुज़ारा होता है।”
जेन ज़ी–
“कम आन मैन। थोड़ा हिम्मत करो। तुम अपना स्टार्ट अप क्यों नहीं कर लेते।”
रिपोर्टर–
“हमें कौन फ़ंडिंग करेगा। जितनी सेलरी है उस पर तो बैंक घर बनाने के लिये होम लोन या घरेलू ख़र्चों के लिये पर्सनल लोन तो देता ही नहीं है। अलबत्ता कार लोन ज़रूर देता है जिसकी मुझे ज़रूरत नहीं है। अब आप ही बताओ कि मैं स्टार्टअप कैसे शुरू कर सकता हूँ। वैसे आपको अपने से बड़ों को आप कहना चाहिये, तुम नहीं।”
जेन ज़ी (हँसते हुए)–
“यही आप और तुम के एटीट्यूड में तो आप लोगों की जेनेरेशन फँस कर रह गयी। क्या तुम क्या आप मैन? वी आल आर इक्वल। वेल, आपकी ख़ुशी के लिये मैं तुमको आप बोल देता हूँ। आप यह बताओ कि आपको स्पान्सर नहीं मिलता तो आप क्राउड फ़ंडिंग क्यों नहीं करवा लेते?”
रिपोर्टर-
“यानी एक-एक आदमी से जाकर पैसे माँगूँ कि मुझे अपना जीवन चलाने के लिये स्टार्ट अप करना है और उसके लिये आप जितना चंदा दे सकते हैं उतना दे दें।”
जेनज़ी–
“यही तो आप ओल्ड थाट पीपुल की प्रॉब्लम है। इसे भीख या चंदा क्यों समझते हो? किसी से डायरेक्ट थोड़ी ना माँग रहे हो। बस एक वीडियो बनाकर नीचे अपना क्यू आर कोड या मोबाइल नंबर डाल दो। इस वीडियो को इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक, यूट्यूब पर डाल दो। फिर देखो कितनी टॉप की क्राउड फ़ंडिंग हो जाती है। और हाँ, ये पैसे वापस भी नहीं करने हैं किसी को। देखा ना आयडिया। ऐन आयडिया कैन चेंज योर दुनिया।”
रिपोर्टर-
“अच्छा चलिये, मेरी छोड़िए। आप कुछ अपनी बताइए। आपके जिगरी दोस्त कौन-कौन से हैं? क्या आप उनसे रोज़ मिलते हैं और कहाँ आप लोगों का उठना-बैठना होता है?”
जेन ज़ी–
“व्हाट जिगरी दोस्त मैन। कोई इवेंट होता है तो मिल लेते हैं ऑनलाइन इंस्टा ग्राम पर। नहीं तो सब अपने ऑनलाइन गेम्स, बिटकाईन माइनिंग, ब्रांडिंग जैसी एक्टिविटीज़ में एंगेंज रहते हैं। सबको बिलेनियर बनना है आप लोगों की तरह यूज़लेस सोशल इशुज़ में उलझकर अपनी लाइफ़ वेस्ट नहीं करनी है हम जेन ज़ी लोगों को।”
रिपोर्टर–
“अच्छा आज आपके इलाक़े में कर्फ़्यू लगने वाला है शायद शाम को। सुबह जब आप निकले तो कुछ प्रशासन का ऐनाउंसमेंट सुना था आपने?”
जेन ज़ी–
“व्हाट इज़ कर्फ़्यू मैन। ये क्या होता है। कोई रॉकस्टार या सेलेब्रिटी आता है तब ये लगाया जाता है क्या क्राउड कंट्रोल के लिये होता है क्या? बट जिसके पास रॉक इवेंट का पास या टिकट होगा उसे तो कोई प्रॉब्लम नहीं होती होगी। यू टेल मी मैन कर्फ़्यू में क्या क्या होता है? मुझे सच में नहीं पता क्योंकि सुबह जब मैं घर से निकला था तो मैंने कान पे हेडफोन लगा रखा था। कर्फ़्यू भी रॉक शोज़ की तरह एडवेंचरस एंड एंटरटेनिंग होता है क्या?”
रिपोर्टर–
“अच्छा ये बताइए कि आप लोग हर बनी हुई चीज़ को तहस-नहस क्यों कर देना चाहते हैं? आपके डेमोक्रेसी में यक़ीन नहीं है क्या? पहले श्रीलंका में फिर बांग्लादेश में और उसके बाद आप जेन ज़ी लोगों ने डेमोक्रेटिक तरीक़े से चुनी हुई सरकार गिरा दी। आख़िर आप लोग इस डेमोक्रेटिक व्यवस्था से सन्तुष्ट नहीं हैं क्या। प्रॉब्लम क्या है आप लोगों को?”
जेनज़ी ने कुछ देर सोचा-विचारा और फिर कहा–
“लुक मैन, आप जिन कंट्रीज़ की बात कर रहे हैं। उन कंट्रीज़ में परफ़ेक्ट डेमोक्रेसी नहीं थी। डेमोक्रेसी देखना हो तो हमारी ऑनलाइन बीटीएस फ़ैमिली में देखो। ऑनलाइन जेनज़ी फ़ैमिली जो कोरियन और पॉप सांग्स की दीवानी है उसका एक पीएम किम नमजून जैसा होना चाहिये। दूसरी बात जिन कंट्रीज़ में डेमोक्रेटिक गवर्नमेंट का डीबेकल हुआ वहाँ पर आप लोगों ने जो वोटिंग कराई थी वो ऑनलाइन नहीं थी। हमारी तरह इंस्टाग्राम पर ऑनलाइन वोटिंग कराओ तो हम मानेंगे कि आपकी वोटिंग सही थी। सबको ऑनलाइन इंस्टा स्क्रीन पर दिखना चाहिए कि किसको कितना वोट मिला। जिस यूट्यूबर या इंस्टाग्राम वाले को जितना ज़्यादा वोट मिले उसे ही उस कंट्री के इलेक्शंस में पीएम या प्रेसीडेंट बना दो फिर वो चाहे कोरिया में रहता हो या सिंगापुर में। वहीं से आनलाइन सरकार चलाएग। सो सिपंल। व्हाई ए कंट्री ओनली। होल वर्ल्ड इज़ आवर फ़ैमिली। दैट्स वी जेन ज़ी आल एबाउट।”
रिपोर्टर–
“अच्छा ये बताइए नेपाल में आप लोगों ने हिल्टन होटल जला दिया। एक होटल से आपके किस अधिकार का नुक़्सान हो रहा था?”
जेनज़ी–
“लुक मैन, एक्जैक्टली तो मुझे नहीं पता कि वहाँ क्या हुआ था? लेकिन अगर कोई जेनज़ी किसी होटल के पब, बार या डिस्कोथेक में जाना चाहता है तो उसे रोका नहीं जाना चाहिये चाहे उसके वालेट में उस टाइम पैसा हो या न हो। सरकार अगर ग़रीब लोगों को फ़्री में घर, मेडिकल ट्रीटमेंट और खाना दे सकती है तो क्या जेन ज़ी के लिये होटलों में पब, बार या डिस्कोथेक को फ़्री नहीं कर सकती? उनके बिल्स नहीं भर सकती? इसीलिये जेन ज़ी लोगों ने वो होटल जलाया होगा।”
रिपोर्टर-
“उसके क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया,
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप हैं अगला नम्बर आपका है।
जानते हो एक उस्ताद शायर ने यह मानीखेज बात आप जैसे लोगों को आगाह करने के लिये ही लिखी थी। कुछ समझे आप?”
जेन ज़ी ने इंकार में सिर हिलाया और हेडफोन में एक कोरियन पॉप म्यूज़िक सुनते हुए झूमता इठलाता हुआ वहाँ से चला गया।
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