इंग्लिश पप्पू
दिलीप कुमारपाकिस्तान के भूतपूर्व गृहमंत्री शेख़ रशीद दक्षिण एशिया की राजनीति में मनोरंजन के प्रमुख साधन माने जाते रहे थे, ये हज़रत वही हैं जो इंडिया पर पाव किलो वज़न के परमाणु बम मारने की धमकी दिया करते थे। जब शेख़ रशीद गृहमंत्री थे तब बिलावल को उनका सबसे प्रमुख आलोचक माना जाता था, अब बिलावल ज़रदारी वज़ीर-ए-ख़ारिजा हैं तो शेख़ रशीद उनके सबसे बड़े क्रिटिक (आलोचक) हैं। ये वही शेख़ रशीद हैं जो कुछ वक़्त के लिये पाकिस्तान के रेल मंत्री बने थे तब उनकी कराची से लॉस एंजिल्स तक ट्रेन चलाने की बातें शाया हुई थीं। शेख़ रशीद को पाकिस्तान की राजनीति का “कॉमेडी किंग” और बिलावल को शेख़ रशीद का “इंग्लिश वर्जन” माना जाता है।
भारत को दिन भर एटम बम से उड़ा देने की धमकियाँ देने वाली और पाकिस्तान को दुनिया का सबसे अमीर और ख़ुशहाल मुल्क बताने वाली टीवी एंकर फ़ज़ा खान के शो पर पाकिस्तान के वर्तमान विदेश मंत्री और भूतपूर्व गृहमंत्री के बीच बातचीत शुरू हुई—
शेख़ रशीद बिलावल से: “आप पाक के हालात कैसे सुधारेंगे आप, हमारी सरकार थी तब आप हमें तो भिखारी कहते थे।”
बिलावल: “वी विल टेक डोनेशन एंड बेग फ़्रॉम आवर फ्रेंड्स।”
शेख़ रशीद को अंग्रेज़ी समझ नहीं आयी वो मन ही मन झल्लाये मगर उन्होंने सोचा कि इस मसले पर पूछेंगे तो वो लगातार अंग्रेज़ी बोलेगा तो मेरी फ़ज़ीहत हो जाएगी।
शेख़ रशीद: “आप कश्मीर को इंडिया से छीनकर पाकिस्तान में कैसे मिलाएँगे?”
बिलावल: “अफ़ग़ानी तालिबान विल डू फ़ॉर अस।”
शेख़ रशीद मन ही मन कुढ़े, फ़ज़ा की तरफ़ देखा, फ़ज़ा ने भी कंधे उचका दिए कि फ़ॉरेन मिनिस्टर को मैं उर्दू या पंजाबी में बोलने की ताकीद की हिमाक़त मैं नहीं कर सकती।
शेख़ रशीद: “मुस्लिम उम्मा की कौमे यकजहती आप कैसे करेंगे”?
बिलावल: “वी विल बेग आल मुस्लिम कन्ट्रीज, ए क्रॉनिक बेगर कैन बी चूजर्स।”
शेख़ रशीद पस्त हो गया, उसने कहा: “देखें जी पाकिस्तान की 95 फ़ीसदी आबादी इंग्लिश नहीं समझती। इस अवाम को अपनी बात बतानी है तो उर्दू या पंजाबी में कहें।”
बिलावल मन ही मन कुढ़े, उर्दू या पंजाबी में कहूँगा तो अवाम समझ जाएँगे कि मैं क्या कह रहा हूँ, जबकि आज तक मैं ख़ुद नहीं समझ पाया कि मैं क्या कहता रहता हूँ।
शेख़ रशीद: “रमीज राजा का आप क्या करेंगे, इंडिया वाले उन्हें अब कमेंट्री कर ने के लिये वीसा नहीं देंगे तो?”
बिलावल: “ही इज़ आवर क्रिकेटिंग पप्पू, देयर शुडबी एनफ़ पप्पूज़ इन आल वाक ऑफ़ लाइफ़।”
शेख़ रशीद ने क़हर भरी नज़रों से बिलावल को देखा और कहा: “अवाम को इंग्लिश नहीं आती वो क्या मतलब निकाले इस बात का?”
बिलावल: “अवाम को नहीं आती या आपको नहीं आती ?”
ये कहकर बिलावल हो-हो करके हँसा। उसको ख़ुद पर हँसता हुआ देखकर शेख़ रशीद अंगारों पर लेट गया।
शेख़ रशीद:“जी सुना है शाहिद आफ़रीदी, बाबर आज़म को हटा कर अपने दामाद शाहीन शाह को पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का कप्तान बनाएँगे।”
बिलावल: “आई लव दिस, मेरे नाना ने भी तो अपने दामाद को मुल्क का सरबराह बनाया था।”
शेख़ रशीद: “आपकी उम्र निकली जा रही है आपने शादी नहीं की, क्या आप शेख़ रशीद बनना चाहते हैं उन्होंने भी शादी नहीं की है।” ये कहकर शेख़ रशीद हो-हो करके हँसा तो बिलावल अंगारों पर लोट गया।
बिलावल: “वेल मेरे पापा ने भी तभी शादी की थी जब उनकी मूँछें पक गयी थीं, आई हैव एनफ़ टाइम।”
शेख़ रशीद: “इमरान खान कहते हैं कि आप पप्पू टाइप बच्चे हैं। आपसे कोई लड़की शादी को तैयार नहीं होगी।”
बिलावल: “इमरान खान ख़ुद तो इमरान हाशमी बन बैठा है, उसके आडियो-वीडियो जस्ट अमेज़िंग हैं। मैं पाकिस्तान का सबसे एलिजबल बैचलर हूँ। सलमान ख़ान की फ़िल्में इंडिया में नहीं चलती, लेकिन कैरियर इसीलिये चल रहा है कि वो अनमैरिड हैं, यू कैन कंसीडर मि पोलिक्टिकल सुपरस्टार ऑफ़ पाकिस्तान।”
शेख़ रशीद: “जी मीडिया तो आपको पप्पू ऑफ़ पाकिस्तान कहता है।”
बिलावल इस सवाल से असहज हो गया। उसने फ़ज़ा की तरफ़ देखते हुए कहा: “नो, नो। चेक योर फ़ैक्ट्स, समवन इज़ लेडी पप्पू ऑफ़ मीडिया, इट्स फ़ज़ा खान।”
शेख़ रशीद फ़ज़ा खान की इस बेइज़्जती पर बहुत ख़ुश हुआ कि अब तक उसकी फ़ज़ीहत हो रही थी तो फ़ज़ा बहुत मज़े ले रही थी।
शेख़ रशीद: “सुना है पाकिस्तानी तालिबान ने ख़ैबर पख़्तूनवा को एक आज़ाद मुल्क डिक्लेयर कर दिया है, वहाँ पर फ़ॉरेन मिनिस्टर ऑफ़ पाकिस्तान का पोर्टफ़ोलियो किसी और को दिया गया है, तो आप अब आधे-अधूरे पाकिस्तान के फ़ॉरेन मिनिस्टर हैं।”
बिलवाल: “ये इंडिया और रा की साज़िश है। वी विल फ़ाइट बैक, टीटीपी ने अपना एक सूबे का फ़ॉरेन मिनिस्टर बनाया है, हमारे पास रेस्ट ऑफ़ पाकिस्तान के तीन सूबे अभी भी हैं। हम तीन तीन फ़ॉरेन मिनिस्टर बनाएँगे।”
शेख़ रशीद: “पाकिस्तान में इतनी बिजली क्यों कटती है।”
बिलावल: “जी बिजली कटती नहीं है, हम बिजली काटते हैं, अगर मुसलसल बिजली आती रहेगी तो लोग काम करते रहेंगे, इससे उनके जिस्म और ज़ेहन थक जाएँगे। इसीलिए अवाम को सुकून देने के लिये लाइट काटी जाती है।”
शेख़ रशीद: “पाकिस्तान में बहुत महँगाई है, लोगों को खाने के लिये आटा नहीं मिल पा रहा है आपकी हुकूमत में।”
बिलावल: “यू सी, यहाँ भी हम पब्लिक वेलफ़ेयर का ही काम कर रहे हैं। आटे की रोटी पकाने, खाने में मेहनत लगती है। हम अपनी अवाम को आराम देना चाहते हैं। हमारी सलाह है कि अवाम आटे की बात न करे, चावल खाये या फिर चावल की बनी बिरयानी खाये।”
शेख़ रशीद: “पाकिस्तान में बच्चों का बर्थ रेट इतना ज़्यादा क्यों है, आप इस पर कुछ करते क्यों नहीं।”
बिलावल: “देखें जी हमारे यहाँ इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड की टीमें अभी टेस्ट क्रिकेट खेलने आयी थीं। हमारे स्टेडियम बिल्कुल ख़ाली-ख़ाली थे। जब इंडिया में टेस्ट मैच होता है तो उनके स्टेडियम भरे रहते हैं। हम ‘स्टेडियम भरो स्कीम’ पर काम कर रहे हैं। इंशाअल्लाह दस पंद्रह सालों में हमारे स्टेडियम इंडिया की तरह भरे होंगे।”
शेख़ रशीद: “लेकिन इंडिया के स्टेडियम इसलिये नहीं ख़ाली रहते कि वहाँ पे आबादी नहीं है, वहाँ लोग स्टेडियम में टेस्ट मैच देखना वक़्त की बर्बादी मानते हैं। लोग काम पर जाते हैं इसलिये स्टेडियम ख़ाली रहते हैं।”
बिलावल: “देखें जी, इंडिया एक ग़रीब मुल्क है, इसलिये वहाँ क्रिकेट मैच होता है तो अपने बंदों को वो काम पर भेज देते हैं। पाकिस्तान में इतनी ग़रीबी नहीं है, हमारे यहाँ तो मैच में हम सारे शहर की लाइट काट देते हैं सिर्फ़ स्टेडियम की लाइट जलाने के लिये। हमारा मानना है कि प्लेयर्स जब स्टेडियम में लाइट की रोशनी में खेल रहे हैं तो वो अपना काम कर रहे हैं इस बात के उनको पैसे मिलते हैं, वो काम करें। अवाम क्यों काम करें? लाइट रहेगी तो अवाम मैच देखकर एक क़िस्म का काम करेगी ही। पाकिस्तान ने मैच हारना ही है, पब्लिक पहले टाइम वेस्ट करके मैच देखेगी फिर पाकिस्तान के हारने पर स्ट्रेस लेगी। इसलिये अवाम की ख़िदमत के लिये ये फ़ैसला लिया गया है।”
शेख़ रशीद: “अफ़ग़ानी तालिबान आपको मार रहे हैं, आप तो कहते थे कि वो आपके भाई हैं, फिर ऐसा क्यों?”
बिलावल: “यू सी, ये इंडिया और रा की साज़िश है। हम अमेरिका से तालिबान को ठिकाने लगाने के लिये डॉलर लेते थे, उसे पूरा रख लेते थे, फिर तालिबानियों को थोड़ा सा सड़ा हुआ गेंहू और असलहा-बारूद भेजते थे। तब वो थोड़ा-सी रोटी खाकर बाक़ी का पेट बारूद के धमाके को सूँघ कर भर लेते थे। लेकिन अब सब बदल गया है।”
शेख़ रशीद: “क्या बदल गया अब वो आपके भाई नहीं रहे।”
बिलावल: “देखो असली भाई तो वो तालिबान खान यानी इमरान खान के हैं। मतलब हमारे भी भाई हैं। बदल ये गया कि एक तो अमेरिका वहाँ से चला गया तो तालिबानों के नाम पर मिलने वाला डॉलर हमको मिलना बंद हो गया। दूसरे तालिबानी लड़ाके क़बीले हैं। लड़ते रहने की उनकी आदत है, पेट भर जाए और पैरों में चप्पल भी न हो तो वो लड़ेंगे ही। इंडिया ने साज़िशन तालिबानों को इतनी रसद दे है, अब वो बैठ कर खाते हैं, उनके पेट भरे हैं, सामने लड़ने को अमेरिकन नहीं है और उनको किसी न किसी से तो लड़ना ही है। कभी अमेरिका से लड़ते हैं कभी ख़ुद आपस में और जब लड़ने को कोई नहीं मिल रहा है तो अब हमसे लड़ रहे हैं। इंडिया साज़िश करके उनको अनाज न देता तो वो हमसे न लड़ते।”
शेख़ रशीद: “लेकिन तालिबान आपके मुल्क के नक़्शे को नहीं मानते। वो डूरंड लाइन भी नहीं मानते और आपके वज़ीरिस्तान को क़ब्ज़ा करके अफ़ग़ानिस्तान में मिलाना चाहते हैं।”
बिलावल: “देखें जी, ये भी इंडिया और रा की साज़िश है। पहले हम अफ़ग़ानिस्तान को अपना पाँचवाँ सूबा मानते थे और उसे पाकिस्तान में मिलाने की फ़िराक़ में थे, पाकिस्तान ने इसकी पूरी तैयारी भी कर ली थी। लेकिन जब से अफ़ग़ानिस्तान की टीम इंडिया में क्रिकेट खेलने गयी तो वहाँ के लोगों ने न जाने क्या पट्टी पढ़ा दी, क्रिकेटर्स ने ये बात तालिबानियों को समझा दी कि इससे पहले कि अफ़ग़ानिस्तान को पाकिस्तान अपने मुल्क में मिला कर पाँचवाँ सूबा बना ले। हमें पहले ही हमला करके क़बीलाई इलाक़े वज़ीरिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान में मिला लेना चाहिये। ये इंडिया, रा और इंडियन क्रिकेटर्स की साज़िश है।”
शेख़ रशीद: “ये पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुक़ाबले इतनी तेज़ी से क्यों गिर रहा है?”
बिलावल: “इट्स नाट लाइक दैट। ये झूठी ख़बर इंडिया और रा ने साज़िशन उड़ाई है। मैंने अपने ख़ुद अपने घर की छत पर से यूस डॉलर और पाकिस्तानी रुपया एक साथ गिराया, लेकिन पाकिस्तानी रुपया उतना तेज़ी से नीचे नहीं आया, उस दिन तो डालर पहले गिरा था, पाकिस्तान रुपया न सिर्फ़ डालर के मुक़ाबले धीरे से नीचे आया बल्कि उस दिन तो डॉलर के ऊपर ही आकर गिरा हमारा पाकिस्तान रुपया। आई कैन कन्फ़र्म यू।”
ये कहकर बिलावल हँसा तो शेख़ रशीद भी हँसने लगा। फिर दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया और ठहाके लगा कर हँसने लगे। उन दोनों को हँसता देखकर पाकिस्तानी की अवाम बिलख-बिलख कर रोने लगी।
पाकिस्तान की अवाम के फ़्यूचर के बारे में सोचकर आपकी भी आँख नम हो गयी क्या?
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
-
- 'हैप्पी बर्थ डे'
- अँधेर नगरी प्लेब्वॉय राजा
- आपको क्या तकलीफ़ है
- इंग्लिश पप्पू
- उस्ताद और शागिर्द
- और क्या चाहिए
- कबिरा खड़ा बाजार में
- कुविता में कविता
- कूल बनाये फ़ूल
- कोटि-कोटि के कवि
- खेला होबे
- गोली नेकी वाली
- घर बैठे-बैठे
- चाँद और रोटियाँ
- चीनी कम
- जूता संहिता
- जैसा आप चाहें
- टू इन वन
- डर दा मामला है
- तब्दीली आयी रे
- तुमको याद रखेंगे गुरु
- तो क्यों धन संचय
- तो छोड़ दूँगा
- द मोनू ट्रायल
- दिले नादान तुझे हुआ क्या है
- देहाती कहीं के
- नेपोकिडनी
- नॉट आउट @हंड्रेड
- नज़र लागी राजा
- पंडी ऑन द वे
- पबजी–लव जी
- प्रयोगशाला से प्रेमपत्र
- फिजेरिया
- बार्टर सिस्टम
- बोलो ज़ुबाँ केसरी
- ब्लैक स्वान इवेंट
- माया महाठगिनी हम जानी
- मीटू बनाम शीटू
- मेरा वो मतलब नहीं था
- मेहँदी लगा कर रखना
- लखनऊ का संत
- लोग सड़क पर
- वर्क फ़्रॉम होम
- वादा तेरा वादा
- विनोद बावफ़ा है
- व्यंग्य लंका
- व्यंग्य समय
- शाह का चमचा
- सदी की शादी
- सबसे बड़ा है पईसा पीर
- सिद्धा पर गिद्ध
- सैंया भये कोतवाल
- हाउ डेयर यू
- हिंडी
- हैप्पी हिन्दी डे
- क़ुदरत का निज़ाम
- स्मृति लेख
- कहानी
- कविता
-
- अब कौन सा रंग बचा साथी
- उस वक़्त अगर मैं तेरे संग होता
- कभी-कभार
- कुछ तुमको भी तो कहना होगा
- गुमशुदा हँसी
- जब आज तुम्हें जी भर देखा
- जब साँझ ढले तुम आती हो
- जय हनुमंत
- तब तुम क्यों चल देती हो
- तब तुमने कविता लिखी बाबूजी
- तुम वापस कब आओगे?
- दिन का गाँव
- दुख की यात्रा
- पापा, तुम बिन जीवन रीता है
- पेट्रोल पंप
- प्रेम मेरा कुछ कम तो नहीं है
- बस तुम कुछ कह तो दो
- भागी हुई लड़की
- मेरे प्रियतम
- यहाँ से सफ़र अकेले होगा
- ये दिन जो इतने उदास हैं
- ये प्रेम कोई बाधा तो नहीं
- ये बहुत देर से जाना
- रोज़गार
- सबसे उदास दिन
- लघुकथा
- बाल साहित्य कविता
- सिनेमा चर्चा
- विडियो
-
- ऑडियो
-