तब्दीली आयी रे

15-10-2019

तब्दीली आयी रे

दिलीप कुमार

“हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है 
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा”

यही शेर आजकल पाकिस्तान में बच्चा बच्चा कह रहा है क्योंकि जो ऊपर वाले ने ऐसा छप्पर फाड़ कर दिया कि पाकिस्तानियों को अपनी ख़ुशक़िस्मती पर यक़ीन नहीं हो रहा है कि - "या इलाही ये माजरा क्या है"!

पाकिस्तान जो कि बकौल ख़ुद दुनिया का सबसे पाक मुल्क मानता है और अपनी ज़मीनों पर बलि-बलि जाता है कि ख़ुदा ने उसे ऐसी ज़मीन दी, जिसपे नायाब फसलें उगती हैं। अब देखें ना कि ख़ासे पढ़े-लिखे माने जाने वाले इमरान खान जापान और जर्मनी की सरहद मिला बैठे अपनी तक़रीर में। लगता है उनके लिये कोई सुपर नोबेल प्राइज़ की घोषणा करनी पड़ेगी जो दुनिया भर की सरहदों को गिरा देगा और जर्मनी तथा जापान की सरहद को मिला देगा। वज़ीरे आज़म साहब अपनी बेगम के टोने-टोटके से प्राइम मिनिस्टर तो बन गए, लेकिन नोबल पीस प्राइज़ के लिये उन्हें शायद बंगाली काले जादू की जरूरत पड़े. . . तो क्या एक और. . .अल्लाह खैर करे! 

अब ज़रा इनकी कैबिनेट के दो सुपर मिनिस्टर्स को देखिये. . . क्या कहने इनके! पाकिस्तान दुनिया का वाहिद मुल्क है जिसके शहरियों को ये एजाज़ हासिल है कि वो बिना बिजली, गैस, टमाटर के ख़ुद को सुपर पॉवर मानते हैं और ख़ुश भी रहते हैं। आख़िर ख़ुश क्यों ना हों जब उनके पास शेख रशीद जैसा रेल मिनिस्टर हो जो रेलवे के अलावा दुनिया भर की बातें करता है। और दूसरा साइंस और टेक्नोलॉजी का मिनिस्टर फवाद चौधरी हो, जो मुल्क को "मेरी साइंस मेरी मर्ज़ी" पर चलाने का अभियान चला रहे हैं। शेख रशीद वही हस्ती हैं जो पाकिस्तान के पाव भर के परमाणु बम के हमले की बात करके चर्चा में आये थे। दुनिया भर की एटमी साइंटिस्ट हैरान हैं ख़ुद अमेरिका को यक़ीन नहीं हो रहा है क्योंकि सबसे हल्का परमाणु बम भी उसी के पास है जो कि 23 किलो का है। फिर ये पाव भर के बम का ईजाद पाकिस्तान ने कब कर लिया अब इसकी खोज जारी है। 

शेख रशीद ख़ुद को पाकिस्तान के एटमी प्रोग्राम का वालिद बताते हैं; कहते हैं कि वालिद को ही पता होता है कि कौन सी औलाद पाव भर की तासीर की होती है और कौन सी किलो भर की तासीर वाली। शुक्र है ख़ुदा का शेख रशीद शादीशुदा नहीं हैं और वो बेऔलाद हैं, वरना ना जाने क्या-क्या स्यापे करते सौ और पचास ग्राम के बमों की हुदूद तक। वैसे अब वो एटम बम को स्मार्ट बम कह रहे हैं, और कहते हैं कि वो इसी से हिंदुस्तान से लोहा लेंगे। वैसे वो जिससे लोहा ले लेते हैं उसका लौटाते नहीं हैं। हजरत रशीद ने बहुत बरस पहले एक बन्दे के शो रूम से नई गाड़ी ख़रीदी थी बाइस लाख में, आज तक बाइस पैसे ना दिए उस गाड़ी के। जब हाथापाई हुई सड़कों पर तब ये नज़ारा आम दिखा, शायद उधार की गाड़ी में ही उधार वाले पाव-पाव भर के परमाणु बम छिपा रखे हों. . . अल्लाह अल्लाह. . . ख़ैरसल्ला!"

अब दूसरे फवाद चौधरी. . . पाकिस्तान में आजकल लॉफ़्टर चैलेंज के शो बन्द हो गए हैं। लोग पल-छिन बस ये देखते हैं कि अब फवाद चौधरी ने क्या कहा. . .! बतौर साइंस और टेक्नोलॉजी मिनिस्टर उनके कुछ महत्वपूर्ण सुझाव निम्न हैं जो वहाँ की असेम्बली में उन्होंने चर्चा के लिए रखे हैं

अगर हम जामुन के पेड़ के नीचे गुलाब उगाये तो हमको उगे हुए गुलाबजामुन मिल जाया करेंगे।
हम चप्पलों के बिना कुछ दूर तक जा सकते हैं मगर चप्पल हमारे बिना दो क़दम भी नहीं चल सकती।
अगर आपके मिट्टी खाते हैं तो उन्हें मिट्टी से महरूम कर दें और उन्हें सीमेंट फरहाम कराएँ ताकि उनकी बुनियाद मज़बूत हो सके।
भैंस दुम इसलिये हिलाती है क्योंकि दुम भैंस को नहीं हिला सकती ।
हम पानी इसलिये पीते हैं क्योंकि हम पानी को खा नहीं सकते ।

ऑफ़ द रिकॉर्ड तो वो ये भी कहते हैं कि पाकिस्तान का चंद्रयान उस चाँद पर नहीं जायेगा जिस पर भारत का यान गया है। सो वो एक अलग चाँद पर जाएँगे ये और बात है कि 2023 में चीन के राकेट में बैठकर. . .! क्यों नहीं भई "मेरी साईंस, मेरी मर्ज़ी" उनका नारा है।

इमरान खान जब अपना चुनाव प्रचार कर रहे थे तो दिन रात एक ही जुमला गाते थे - 
"रोक सको तो रोक लो, तब्दीली आयी रे
तब्दीली आयी रे!"

वाक़ई कितनी तब्दीली लाये इमरान खान कि जिस देश में लोग महानगरों में ऑटो रिक्शा के बजाय गधा गाड़ी से सफ़र करने लगे हों; वहाँ पिछले साल उनकी सरकारी एयरलाइन्स ने 46 बार बिना मुसाफ़िरों के ही अपनी उड़ान को मुक़म्मल किया और कितनी तब्दीली और तरक़्क़ी चाहिये उस मुल्क के बाशिंदों को! और तो और लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने की ख़बर तुरंत मीडिया में आ गयी थी, जबकि अलक़ायदा के सरगना लादेन पुत्र अबु हमज़ा के मारे जाने की ख़बर उन्होंने महीनों बाद मीडिया में आने दी। अब उनकी सरकार क़ानून लायी है कि मीडिया में हुकूमत की छवि ख़राब करने वाले सहाफ़ियों पर 90 दिन के अंदर ट्रायल करके सज़ा दी जायेगी। अपने इस काम को अंजाम देने के लिए उन्होंने दो कोहिनूर चुने हैं. . . शेख रशीद और फवाद चौधरी. . .! बहादुर क़ौमें पाकिस्तान की इस फ़ैसले पर मदमस्त गा रही हैं - "तब्दीली आयी रे, तब्दीली आयी रे!"️

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