डरता है वो कैसे घर से बाहर निकले
डॉ. शोभा श्रीवास्तवडरता है वो कैसे घर से बाहर निकले
क़दम-क़दम पर लोग दिखाते तेवर निकले
हीरे जान के जिनको बहुत सहेजा हमने,
वो तो सिर्फ़ चमकने वाले पत्थर निकले
जाने क्यों इक हूक सी उठ जाती है दिल पर,
जब-जब भी हम उसकी गली से होकर निकले
देने वाले से क्या शिकवा, कैसी शिकायत,
लेकर अपनी फटी हुई हम चादर निकले
जिन लोगों पर ऊँगली कभी उठाई तुमने,
वही लोग अब शोभा तुमसे बेहतर निकले
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