यह तो होना था 

01-01-2023

यह तो होना था 

भीकम सिंह (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

यह तो होना था 
कुछ तो खोना था
अपने हाथों से 
कैसे-कैसे पग धोना था। 
 
कौन जान सका 
हमारे कच्चे चिट्ठे
कैसी-कैसी थैली के 
हमें चट्टे-बट्टे होना था। 
 
जाने कैसा वक़्त था
तृण-तृण भक्त था 
घृणा के झाड़ों को
हमें ही बोना था। 
 
याद नहीं कहाँ-कहाँ 
और कितने गिरे हम
जीवन का बस एक
यही तो रोना था। 

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