प्रेम

भीकम सिंह (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

1.
प्यार में कुछ
टूटके गिरे लम्हे
कुछ ढूह-से
टिके रहे अधूरे
टीस से भरे-पूरे। 
2.
लेकर खड़ा
टूटे वादों के निशां
सदी से प्रेम, 
अपने ही भीतर
देखें खुरचकर। 
3.
प्यार से कभी
मन नहीं भरता
अधूरापन
अंतर्लाप करता
ज्यों तहों में उठता। 
4.
दबा कुचला
प्यार महक उठा
गूॅंजा तराना
जब भी कभी खुला
बक्सा कोई पुराना। 

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