धर्म

भीकम सिंह (अंक: 216, नवम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

जब ख़ौफ़ से 
आँखें डर जाती हैं 
तो कहाँ 
समझ में आती हैं 
धर्म की बातें 
उसके बही-खाते।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता-ताँका
कविता
यात्रा-संस्मरण
लघुकथा
कहानी
अनूदित लघुकथा
कविता - हाइकु
चोका
कविता - क्षणिका
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में