सफ़र
भीकम सिंह
किस तरह के
सफ़र में हम आये
हमारे इर्द-गिर्द घूमते
असंख्य चौराहे।
कोई भयावह
कोई वीभत्स
कोई भूख में खड़ा
दे रहा दुआएँ।
कोई बाहर
कोई भीतर
निर्लज्जता पहने
चल रहा दाएँ-बाएँ।
कोई उतरते ही
दौड़ पड़ता
अनजानी-सी दिशा में
यूँ ही गाहे-बगाहे।
किस तरह के
सफ़र में हम आये।
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