भीकम सिंह – चोका – गाँव

15-03-2023

भीकम सिंह – चोका – गाँव

भीकम सिंह (अंक: 225, मार्च द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

गाँव-1
 
कटे छँटे हैं
बेबस गन्ने सारे 
बाँकी आँखों से 
देखें दिन में तारे 
सुख दुःख का
मिला जुला-सा भाव
खेतों में खड़ा 
भर रहा हुकाँरे 
मिल, बुरा है 
बढ़ाता अँधियारे 
उगे हैं भय न्यारे। 
 
गाँव-2
 
सूर्य ने ढाँका 
भीगा-सा खलिहान 
खेतों में लौटी 
उजली-सी मुस्कान 
उँगलियों ने 
खोली और सँवारी 
गेहूँ की बाली
सिरहाने आ बैठी 
हवा थी ठाली
मेघों की देख अति 
हाथों में आई गति। 

मिल=कारखाना

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