भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 010

15-06-2024

भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 010

भीकम सिंह (अंक: 255, जून द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
आलिंगन में 
प्रेम की स्मृतियाॅं हैं 
कई साल की
तुहिन झर रहा 
रात मध्यकाल की। 
 
2.
घुप्प अँधेरा 
कहीं ना कोई तारा 
ऐसा है प्यार 
मेरा और तुम्हारा 
कैसे होगा गुज़ारा। 
  
3.
तुम हू ब हू 
ख़्वाबों में उतरती
लेके भादों-सा
ऑंखें तब ढूॅंढ़ती 
वो, सावन यादों का। 
 
4.
मेरे ही लिए 
तुम खिलखिलाओ
आओ निकट
देखो, प्रेम की नदी 
छोड़ रही है तट। 
 
5.
तुम्हारा प्रेम 
वासना पर टिका 
कित्ती रातों में 
अनकहा ही रहा 
प्रेम, उन रातों में। 

1 टिप्पणियाँ

  • 3 Jun, 2024 08:42 AM

    अति सुंदर वर्णन सच्चे प्रेम का

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