जीवन के पल
भीकम सिंहलेटर प्रेस,
प्रिंटिंग मशीन में
छपी पुस्तक के वर्णों जैसे
मेरे जीवन के पल सभी
कौन पढ़ पाया कभी
जहाँ-तहाँ से कटे-कुटे
अगिनत अक्षर छुटे
कई जगहों पर कितनी
छपते कटी पंक्तियाँ
और शब्द चढ़े,
शब्दों पर कितने
ज़्यादा स्याही से आहत
दम तोड़ते कुछ,
बिना स्याही के मरे कितने
हाँफते से जिए कुछ
मरे-मरे से फिरे,
हाशियों पर कितने
मेरे जीवन के पल।
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