भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 009

01-06-2024

भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 009

भीकम सिंह (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
सोच में बैठें
खेत की मेड़ पर 
वो, आजकल
बारिश में धूप का
जैसे कोई दख़ल। 
 
2.
जब भी वह
राह से गुज़रते 
यूॅं सॅंवरते
बारिश में ज्यों मेघ
नींद में उतरते। 
 
3.
जैसे उसकी 
पदचाप-सी हुई 
गली में कई 
मौसम के तेवर
माघ में हुए मई। 
 
4.
तेरे ही लिए 
कुहनी पे टिका है 
मेरा आगाज़ 
पीठ सरहद है 
जुगनू हमराज़। 
 
5.
छुई सवेरे 
धूप ने जब ओस
वसंत खिला 
यादों का पतझड़ 
करता रहा गिला। 

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