उपाय
भीकम सिंह
रसायन विज्ञान के आचार्य का विरोध कॉलेज में चर्चा का विषय बना हुआ था। जिससे प्राचार्य का चिड़चिड़ापन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा था। प्राचार्य आगरा विश्वविद्यालय के कॉलेज से स्थानांतरित होकर मेरठ विश्वविद्यालय के कॉलेज में आया था। कुछ दिनों से वह कॉलेज के आचार्यों का मिज़ाज समझने में लगा रहा। बड़ी मुश्किल से रसायन विज्ञान के आचार्य का विरोध समझ में आया तो प्राचार्य ने लम्बी साँस ली और आचार्य से पूछा, “आचार्य जी! क्लास में कब से नहीं गए?”
आचार्य कहने लगे, “क्लास में गए तो कई बरस हो गए।”
“ठीक है, आज से आप प्रशासनिक कार्य देखेंगे,” प्राचार्य ने आचार्य के कँधे पर हाथ फेरते हुए कहा।
. . . और कोई उपाय नहीं था विरोध कम करने का।
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