गाँव-4
भीकम सिंह
स्वेद में पले
मिट्टी में ढले हुए
खेतों के सारे
मसले टाले गए
कभी तंबू में
कभी फ़ुटपाथ पे
काली सूची में
कुछेक डाले गए
छीन-छीन के
उनके ही निवाले
शिवाले पाले गए।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- लघुकथा
-
- अधकचरा
- आईसिस की शाखा
- कुत्ती बिरादरी
- कृषि (का) नून
- खेद है
- गंदगी
- गुर्जरी
- चिकना घड़ा
- छन की आवाज़
- ढहता विश्वास
- नासमझ
- नीयत
- पाजी नज़्में
- पानी के लिए
- पोर्टर
- बड़ी बात
- बूमरैंग
- बेतुकी
- मिट्टी डाल
- मिस्टर टॉम
- मुखौटा
- मुफ़्तख़ोर
- यथावत
- लठर-लइया
- लीच
- लूट
- वज़नी ट्रैकर
- विजेता
- शगुन का लिफ़ाफ़ा
- शो-ऑफ़
- सलाह
- सूत ना कपास
- सोच
- सफ़ेद पोश
- हम ख़तरा हैं?
- पुस्तक समीक्षा
- चोका
- कविता - हाइकु
- कविता-ताँका
-
- प्रेम
- भीकम सिंह – ताँका – 001
- भीकम सिंह – ताँका – नदी 001
- भीकम सिंह – ताँका – नदी 002
- भीकम सिंह – ताँका – नव वर्ष
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 001
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 002
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 003
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 004
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 005
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 006
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 007
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 008
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 009
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 010
- भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 011
- यात्रा-संस्मरण
- शोध निबन्ध
- कविता
- कहानी
- अनूदित लघुकथा
- कविता - क्षणिका
- विडियो
-
- ऑडियो
-