मिथ्या नेतृत्व
भीकम सिंहएक नेतृत्व
आश्वासनों के पृष्ठ लिखता
तुम्हारे भोलेपन को
झूठ में पढ़ता
बेबाक
बिंदास
अकड़कर
पाँच वर्षों तक
रखता तुम्हें
जकड़कर
और तुम
सहते रहते चुपचाप।
जब-जब पास जाते
नज़रें चुराते
सहमे हुए
और डरे हुए
अनमने-से
यह भी नहीं,
जानते
झुके हो
या
तने-से
और वह
देखता रहता चुपचाप।
जैसे-जैसे वो बाहर आता
तुम्हारा दुःख बढ़ जाता
जब बात समझ में आती
तुम्हारा चरित्र
ओढ़ लेता
एक नया चेहरा
फिर वही खेल
रूप बदलकर होता
घृणा बोता
चलता दिनों-रात
और तुम
खेलते रहते चुपचाप।
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