भीकम सिंह – हाइकु – 002
भीकम सिंह
1.
सड़क चली
ले-लेके हिचकोले
राजस्व बोले।
2.
घंटों में मिली
बस, झटकों वाली
हाथ दे ताली।
3.
खेत लगे हैं
हुक्का गुड़गुड़ाने
बने सयाने।
4.
क़र्ज़ ज्यों लिया
स्वप्न हरखुआ का
गिरवी हुआ।
5.
अभिव्यक्ति में
पेड़ों पे झूले खेत
ज्यों विरक्ति में।
6.
चिंता में खेत
खलिहान में खड़ा
उड़ाये रेत।
7.
मौसम खुला
खेत हुआ सार्थक
फूला-औ-फला।
8.
क़र्ज़ के पासे
चूल्हा रखें उदास
पूरे चौमासे।
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