गुलमोहर की बात

01-03-2024

गुलमोहर की बात

भीकम सिंह (अंक: 248, मार्च प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

गुलमोहर की बात
लौट आई
आस-पास के कान, 
खड़े हो रहे हैं। 
 
ताप की नज़रों में
बसन्त के जाने का
कोई कौतूहल, 
अटका हुआ है। 
 
लम्हों को पकड़ने की
कोशिश में
सुलह कराती, 
बात झगड़ती है। 
 
खिड़की के सामने
क़सम-सी धूप
आज फिर, 
सूरज दे रहा है। 

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