भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 008

01-06-2024

भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 008

भीकम सिंह (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
तुम्हारा प्रेम 
बहुत ज़रूरी है 
काश यूॅं होता 
जब तेरी हाँ होती 
और मेरा हूँ होता। 
 
2.
मुड़ी ज्यों राहें 
जानी पहचानी-सी
जाने क्या टूटा 
बहारों की ऋतु से 
यूॅं सिलसिला छूटा। 
 
3.
गुम-सा प्रेमी
जाने क्या देखता है 
फलक तक
प्रेम में ऑंखें मूँदे 
सोचे, देर तलक। 
 
4.
महका रहा 
सफ़र आजतक 
नशा ना टूटा 
आता ही रहा ख्य़ाल
तुझसे जुड़ा-टूटा। 
 
5.
जो दिल में था 
कॅंधों पर उतरा
आँखों के रस्ते 
सितम के दौर भी 
मोड़ दिए हॅंसते। 

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