सागरीय तट

15-12-2022

सागरीय तट

भीकम सिंह (अंक: 219, दिसंबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

सागर में भाटा आये 
अथवा ज्वार 
तट बड़ा ही, 
होशियार। 
 
सागर का बदन
छूने को होता 
करता नहीं, 
इन्तज़ार। 
 
वो नहीं जानता 
सागर मिलने 
क्यों आता उससे, 
बार-बार। 
 
प्रेमी की तरह
लहरें दौड़तीं 
और मर जातीं, 
हर बार। 

1 टिप्पणियाँ

  • 14 Dec, 2022 08:45 PM

    सुंदर पंक्तिया

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