तेरी उस और की दुनियाँ से दूर हूँ

01-01-2024

तेरी उस और की दुनियाँ से दूर हूँ

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 244, जनवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

212     212     212     212
 
तेरी उस और की दुनियाँ से दूर हूँ
कह नहीं सकता कितना मैं मजबूर हूँ।
 
मैं तो तेरे तस्सवुर में ही खोया हूँ
लोग कहते हैं बड़ा ही मैं मग़रूर हूँ।
 
एक तो मंज़िलों का ठिकाना नहीं
दूसरा ठोकरों से हुआ चूर हूँ।
 
मुझको तो बदल जाने की आदत नहीं
सदियों से जो चला आया दस्तूर हूँ।
 
मेरी हालत पे सबको रहम आता है
ख़बर है जो भी हूँ तुम्हें मंज़ूर हूँ।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

लघुकथा
ग़ज़ल
कविता
सांस्कृतिक कथा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में