कर्मफल 

01-02-2023

कर्मफल 

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 222, फरवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

अक़्सर टीवी चैनल पर दिखाई देने वाले बड़े पहुँचे हुए महात्मा, जब शहर में पधारे तो भक्तजनों ने पलक-पाँवड़े बिछा दिए। संत जी के लिए शहर के रामलीला मैदान के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा मंच स्थापित कर दिया गया। 

जब महात्मा जी उस मंच पर विराजमान हुए तो मैदान में तिल रखने तक की जगह नहीं थी। इतनी भीड़ को देखकर महात्मा जी मन्त्रमुग्ध हो गए। उस ऊँचे मंच पर महात्मा जी के क़रीब बैठने के लिए उनके भक्तजनों में एक होड़ सी लग गयी। जिनमे बड़े-बड़े राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक संगठनों के लोगों के अलावा बिरादरियों के प्रधान भी शामिल थे। महात्मा जी के प्रवचन शुरू होते ही एकदम शान्ति छा गयी। 

“. . . इस नश्वर जगत में कर्मचक्र से कोई नहीं बच सकता; इसलिए मृत्युलोक के हर प्राणी को कभी भी कोई बुरा काम नहीं करना चाहिए . . . जो बुरा काम करता है, उसकी सज़ा उसे ज़रूर मिलती है। चाहे वह . . . ” महात्मा जी के श्री मुख से ये वचन अभी निकले ही थे, तभी तड़ाक की आवाज़ हुईं। उस ऊँचे मंच को सहारा देने वाला शहतीर, ज़रूरत से ज़्यादा बोझ को सहन नहीं कर सका और टूट गया। महात्मा जी आगे की ओर मुँह के बल गिरे। उनका जबड़ा, नाक की हड्डी और अगले दाँत टूट गए। बाक़ी किसी को कोई ख़ास चोट नहीं आयी।

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