नफ़ा-नुक़्सान 

15-03-2022

नफ़ा-नुक़्सान 

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 201, मार्च द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

“इस कटड़े को पालकर बड़ा कर लेती तो इसे ज़रूर कोई भैंसा-गाड़ी वाला ख़रीद लेता; पर तूने इसे कटने के लिए कसाइयों को बेच दिया? क्या तुझे पाप से डर नहीं लगता?” उस कटड़े को घसीटकर ले जाते हुए, दो लोगों की और इशारा करते हुए, गाँव की एक वृद्धा ने बसंती से पूछा। 

“ताई! तुझे पता है, इसे पालने में कितना ख़र्चा आता? . . . आजकल पाप-पुण्य नहीं, नफ़ा-नुक़्सान देखा जाता है,” बसंती ने उस वृद्ध महिला को समझाया।

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