मैं ऐसा मानव हूँ

01-09-2022

मैं ऐसा मानव हूँ

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

मैं बड़ा 
मेरा भगवान बड़ा 
कई सभ्यताओं के ताबूतों पर है 
मेरा शहर खड़ा 
फिर भी नहीं है मेरा 
मन भरा 
मेरा जी चाहता है 
सारी दुनिया को आग लगा दूँ 
और उसकी राख के ढेर पर 
अपने मत को फैला दूँ 
इसीलिए मैं लड़ रहा हूँ 
कट रहा हूँ, मर रहा हूँ 
सदियों से उसी ढर्रे पर खड़ा 
मुझे याद है 
जब ईसा को सूली पर 
चढ़ाया गया था 
बहुत तड़पाया गया था 
पर वो मेरे भगवान का
बेटा नहीं था 
वह तो किसी और के 
भगवान का बेटा था 
मैं तो अपने ईश की ज़रा सी 
निंदा करने वाले का सरक़लम 
करवा सकता हूँ 
मैं उसे ज़िन्दा जलवा सकता हूँ 
क्योंकि अपने उस सर्वशक्तिमान भगवान 
और उसके रूहानी संदेशों की 
मानव से रक्षा करना ही तो 
मेरा धर्म है 
मैं तो अपने बंधु-बांधवों के 
वध के लिए
धर्मयुद्ध भी छेड़ सकता हूँ 
मैंने सुना है 
धर्मग्रंथों में पढ़ा है 
कि देव और दानव 
एक दूसरे को मारते आये हैं 
और मैं उन दानवों से भी 
गया गुज़रा एक ऐसा बेवक़ूफ़ 
मानव हूँ 
जो अपने आपको मारता हूँ 

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