चाबी

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 203, अप्रैल द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

देश विभाजन का फ़ैसला हो चुका था। लाहौर में भयानक मारकाट मची हुई थी। सारा शहर लूटा जा रहा था। तभी अहमद का साला शकील, एक बहुत बड़ा बक्सा सिर पर उठाये हुए अहमद के घर मेंं दाख़िल हुआ . . . और आँगन मेंं रखकर उस बक्से के ताले को पत्थर से तोड़ने लगा। 

अपने मित्र अहमद के घर मेंं, किसी तरह जान बचाकर परिवार सहित छिपकर बैठा गुरनाम सिंह, उस ताले पर पड़ती पत्थर की चोट को सहन नहीं कर सका। वह अंदर से उस ताले की चाबी शकील की तरफ़ फेंकते हुए बोला, “भाईजान! इसे तोड़ने की ज़रूरत नहीं . . . इस चाबी से खोल लो।” 

क्योंकि वह बक्सा उसी के घर से लूटकर लाया गया था। 

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