लड़ाई
सुनील कुमार शर्मालंगड़े को मज़ाक सूझा, वह अपनी माँ से बोला, “माँ! बड़ी ज़ोर की लड़ाई लग गयी है। जिससे हर अंधे, काने, लंगड़े को भर्ती करके युद्ध के मैदान में भेजा जा रहा है; और मैं भी जा रहा हूँ।”
जिसे सुनते ही उसकी माँ घबरा कर बोली, “बेटा! मैं हाथ जोड़ती हूँ, तू मत जा। तू ढंग से चल तो सकता नहीं लड़ाई क्या लड़ेगा?”
माँ-बेटे की बातें सुनकर, लंगड़े की पत्नी उसकी माँ का विरोध करते हुए बोली, “. . . माँ की बातें छोड़ो। चलो मैं कपड़े पैक कर देती हूँ।”
जिसे सुनकर माँ को ग़ुस्सा आ गया और सास-बहू में वास्तव में लड़ाई छिड़ गयी . . .। और लँगड़ा ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा।
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