बादशाह और फ़क़ीर 

15-04-2023

बादशाह और फ़क़ीर 

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 227, अप्रैल द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

एक बादशाह मरणासन अवस्था में पड़ा हुआ था। बड़े-बड़े हकीमों के प्रयास असफल हो चुके थे। बादशाह के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। तभी कोई एक फ़क़ीर को पकड़ कर ले आया। उसका कहना था कि इस फ़क़ीर की करामात से कई बार मुर्दे भी ज़िन्दा हो चुके हैं। उस फ़क़ीर ने आते ही बादशाह के चेहरे पर थूक दिया। कुछ देर बाद ऐसा चमत्कार हुआ कि राजा उठकर बैठ गया। सभी लोग उस करामाती फ़क़ीर की जय-जयकार करने लगे। जिसे सुनकर बादशाह ईर्ष्या से जल उठा, “चुप करो! मेरे होते हुए किसी दूसरे की जय-जयकार नहीं हो सकती . . . अगर आपने यह बकवास बंद नहीं की तो मैं सबके सर क़लम करवा दूँगा।” 

जिसे सुनकर सभी लोग घबरा गए। आख़िर एक दरबारी हिम्मत करके बोला, “जहाँपनाह! इसी फ़क़ीर ने आपके चेहरे पर थूका था, जिससे आप ठीक हुए है; इसीलिए हम इसकी जय-जयकार कर रहे है।” 

जिसे सुनकर बादशाह आपे से बाहर हो गया, “इस भिखारी ने मेरे चेहरे पर थूकने की ज़ुर्रत कैसे की?” फिर उसने सिपाहियों को हुक्म दिया, “इसी वक़्त, बिना देर किये इस नामुराद को सुली पर चढ़ा दो।” 

बादशाह के हुक्म की तामिल हुईं। 

बादशाह बड़े तनाव में उसके बेहोश होने के बाद जो कुछ हुआ उसका हिसाब-किताब कर रहा था। जबकि सूली पर टँगा हुआ वह फ़क़ीर बिल्कुल शांत-चित्त था। 

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