ईमानदार

01-01-2022

ईमानदार

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

उसे दफ़्तर के गेट पर पड़ा हुआ एक बटुआ मिला। उसने खोलकर देखा तो उसमे दो-दो हज़ार के दस नोट थे। उसने चुपचाप कुछ देर इंतज़ार किया। जब उसका कोई मालिक वहाँ ना आया; तो उसने वह बटुआ दफ़्तर के अंदर जाकर मैनेजर के पास जमा करवा दिया। अगले दिन प्रातः जब उसने अख़बार देखा, तो वह अवाक्‌ रह गया। 

अख़बार में छपे एक चित्र में वह मैनेजर एक आदमी को वो बटुआ लौटा रहा था। उस चित्र के नीचे लिखा था—ईमानदार मैनेजर ने बीस हज़ार रुपए लौटाये। 

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