उपअपराध बोध
सुनील कुमार शर्माकिसी बात से ख़फ़ा होकर ठेकेदार ने फकीरो के मज़दूर पति की हत्या करके उसके शव को नाले में फेंक दिया। पर वह क़ानून के लंबे हाथों से बच नहीं सका और पकड़ा गया। सज़ा से बचने के लिए ठेकेदार ने फकीरो को मोटी रक़म देकर केस ख़त्म करवा दिया। ठेकेदार से मिले पैसों से फकीरो के घर की काया पलट गयी। फकीरो ने कच्चे झोंपड़े की जगह पक्का मकान खड़ा कर लिया। उस मकान में फ़्रिज, टेलीविज़न आदि भी ख़रीदकर रख लिए। फकीरो ने लालच में आकर अपने पति के हत्यारों से समझौता तो कर लिया था; पर जब उसकी आत्मा उसे धिक्कारती थी; तो नाले से बरामद उसके पति के शव का विकृत चेहरा उसकी आँखों के सामने आ जाता था, और वह घबराकर चिल्लाती और गश खाकर गिर पड़ती थी।
लोग कहते थे, “. . . इसके पति का भूत इसको सता रहा हैं।”
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