ख़रीददार चाहिए . . .

01-09-2025

ख़रीददार चाहिए . . .

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 283, सितम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

हर कोई बिकने कोई
तैयार बैठा है 
ख़रीददार चाहिए। 
 
रुपयों में बिक सकता है, 
पैसो में बिक सकता है, 
नक़द में बिक सकता है, 
उधार में बिक सकता है 
बोतल में भी मेरा यार बिक सकता है। 
बस ख़रीदने वाले को, 
करना उसका ऐतबार चाहिए। 
 
बेच-बेचकर ज़मीन खा गए, 
आसमान खा गए। 
बड़ी-बड़ी चारेगाहे खा गए, 
तालाब खा गए। 
जब कुछ नहीं बचा तो 
ख़ुद बाज़ार में आ गए। 
मैं और क्या बताऊँ आगे
होना आपको समझदार चाहिए। 
 
हर कोई बिकने कोई
तैयार बैठा है 
ख़रीददार चाहिए।

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