ईर्ष्या
सुनील कुमार शर्मा
एक पेड़ की शाखा पर बैठे हुए कुछ पक्षी आपस मेंं बातचीत कर रहे थे। उसी पेड़ की दूसरी शाखा पर बैठे तोते की और इशारा करते हुए कोयल बोली, “यह तोता तो पूरा भक्त है, इसने कभी ज़िन्दगी मेंं मांस नहीं खाया है।”
“हाँ बहन तुम ठीक कहती हो। यह वास्तव में पूरा भक्त है, हम तो फिर भी कीड़े-मकोड़े खा लेते हैं, पर यह तो अनाज और फल के अलावा कुछ नहीं खाता,” यह कहते हुए, मैना ने कोयल की बात का समर्थन किया। जिसे सुनकर साथ वाले पेड़ पर बैठा हुआ गिद्ध ईर्ष्या का मारा तड़प उठा, “हूँ . . . मैंने शुरू में ज़िन्दगी के बीस वर्ष तक मांस देखा तक नहीं, पर जब से इस पेड़ पर ठिकाना बना है, बुरी संगत के कारण थोड़ा बहुत मांस खा लेता हूँ।”
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