पूर्वोत्तर भारत की गौरव गाथा और व्यथा कथा

15-08-2023

पूर्वोत्तर भारत की गौरव गाथा और व्यथा कथा

विनय कुमार ’विनायक’ (अंक: 235, अगस्त द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


पूर्वोत्तर भारत की सत बहना 
अरुणाचल, मिज़ोरम, मणिपुर, 
मेघालय, नागालैण्ड, त्रिपुरा और
सिक्किम की माता असम का
नाम कभी था प्राग्ज्योतिषपुर! 
 
पूर्वोत्तर की सत बहना राज्यों में 
आठवाँ राज्य सिक्किम जुड़ा था 
जो असम सहित सत बहना का 
भाई कहलाता जो दिखे ठेंगा सा
आठ राज्य सिलीगुड़ी कॉरिडोर से
संपर्क बनाता शेष भारतीय भू से! 
 
महाभारत युद्ध का युद्ध वीर 
भगदत्त का पिता था नरकासुर; 
एक राजा असम का अत्याचारी 
जिसको कृष्ण द्वारा मारने पर 
भगदत्त बना प्राग्ज्योतिषपुरेश्वर! 
 
असम राजा नरकासुर अत्याचारी 
की क़ैद से श्रीकृष्ण ने मुक्त किया 
सोलह हज़ार एक सौ राजकुमारी, 
सारी नारी ने कृष्ण से याचना की 
सुहाग दानकर इज़्ज़त की ज़िन्दगी
कृष्ण ने सबको धर्मपत्नी बना ली! 
 
भगदत्त था पीत किरात मंगोल
हिन्दचीनी मंगोल बर्मी रक्त का, 
तब चीन था तटस्थ शक्तिहीन 
क़बीला, हुआ नहीं स्वतंत्र शामिल 
महाभारत के महासमर क्षेत्र में! 
 
ब्रह्मपुत्र हिमालय पर्वतघाटी के
सभी जनजातियों का अधिपति
भगदत्त था कृष्णशत्रु, इन्द्रमित्र, 
इन्द्रपुत्र अर्जुन प्रशंसक, किन्तु
श्रीकृष्ण की शत्रुता के कारण से
वो रण लड़ा कौरवों के पक्ष में! 
 
भगदत्त हस्तियुद्ध में था निपुण, 
मल्लयुद्ध में भी था बड़ा प्रवीण, 
हार गया था पहलवान भगदत्त से
दस हज़ार हाथी सा बलवान भीम, 
भगदत्त का संहार किया अर्जुन ने
धोखे से आँखों की पट्टिका काटके! 
 
यही असम कहलाता था कामरूप
शक्तिपीठ माँ कामाख्या की भूमि, 
शुरू से किरात वेशधारी शिव और
शक्ति माता कामाख्या यहाँ पूजित 
असम नाम पड़ा अहोम जाति से! 
 
अहोम ताई थे तिब्बती बर्मीमूल के, 
रक्त मिश्रित हिन्दू धर्मावलंबी होके
बारह सौ बीस से राजपूत सिंह की
उपाधि लेके असम ब्रह्मपुत्र घाटी में
अठारह सौ छब्बीस तक राज किए! 
 
अरुणाचल प्रदेश की कथा निराली, 
अरुणाचल भीष्मकपुर के महाराजा
भीष्मक की राजपुत्री थी रुक्मिणी, 
आठ रानियों में सर्वश्रेष्ठ महारानी
भगवान कृष्ण की पटमहिषी रानी 
मिज़ो मिश्मी जनजाति समाज की! 
 
आज भी मिज़ो मिश्मी जनजाति
अपनी पूर्वजा रुक्मिणी के अग्रज
रुक्मी के कृष्ण द्वारा सुदर्शन से
अर्धमुण्डित मस्तक की स्मृति में
सदियों से अर्धमुण्डित रहा करती
रुक्मी की मित्रता शिशुपाल से थी! 
 
मिज़ोरम है दूसरा सबसे शिक्षित प्रांत 
पर कभी मिज़ोरम था सर्वाधिक अशांत, 
जब सन्‌ उन्नीस सौ छियासठ ईसवी में 
पाकिस्तान चीन के साज़िश में फँस कर
मिज़ो नेशनल फ्रंट के नेता लालडेंगा ने
मिज़ोरम को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया! 
 
मिज़ोरम विद्रोह बमुश्किल दबाए जाने पर 
उन्नीस सौ बहत्तर में भारत में हुआ विलय 
मिज़ो जनजाति ईसाई मतावलंबी हो गई 
मिज़ोरम की बाँस व्यवसाय में है प्रसिद्धि
बाँस में फूल आ जाने और बाँस के फूलों को 
चूहे द्वारा खाने से चूहे की होती वंशवृद्धि
चूहे अन्न खा जाते होती अकाल की स्थिति! 
 
सिक्किम में है हिन्दू बौद्ध की आबादी, 
जो नेपाल तिब्बत बंगाल भूटान के बीच 
अँगूठे के आकार का ये चावल की घाटी, 
सिक्किम का अर्थ होता नवीन राजमहल, 
सिक्किम की प्रथम राजशाही नामग्याल, 
जिसकी भाषा गोर्खा भूटिया लेप्चा हिन्दी! 
 
त्रिपुरा राज्य के निर्माता यदुवंशी त्रिपुर थे 
त्रिपुरा संज्ञा त्रिपुर सुन्दरी नाम से निकली 
त्रिपुरा हिन्दू रियासत माणिक्य राजाओं की
त्रिपुरा का उल्लेख मिलता महाभारत पुराण, 
अशोक शिलालेख और राजमाला गाथा में, 
त्रिपुरा राजाओं का उपनाम फा यानी पिता, 
बंगाली और कोक बोरोक त्रिपुरा की भाषा, 
माणिक्य राजा थे इण्डो मंगोली नस्ल के! 
 
पूर्वोत्तर की ये कथा कहानी बतलाती आर्य, 
किरात, मंगोल व चीनी के रक्त मिश्रण की, 
गौरवर्ण के आर्य, पीतवर्णी किरात, मंगोल 
जनजातियों से घुलने मिलने की वजह से
आपस में ये रक्त रिश्तेदारी से बँधे हुए थे! 
 
नागालैण्ड का दीमापुर पूर्व में कहलाता था
हिडिम्बापुर जो भीम भार्या हिडिम्बा का घर, 
नागालैण्ड की वर्तमान ‘दीमाशा’ जनजाति
भीम-हिडिम्बा के पुत्र महाबली घटोत्कच को
अपना पूर्वज मानकर पूजा आराधना करती 
घटोत्कच पुत्र बर्बरीक राजस्थान हरियाणा में 
कृष्ण नाम खाटू श्याम के रूप में पूजे जाते! 
 
आज भी भीम की रानी हिडिंबा की राजवाड़ी में
भारी भरकम गोल पत्थर की शतरंज की गोटी
स्मरण दिलाती है पिता पुत्र भीम घटोत्कच की, 
अंग्रेज़ी दासता में नागालैण्ड की नागा जनजाति
ईसाई में धर्माँतरित हो गई पर संस्कृति है वही, 
वर्तमान में नागालैण्ड की राजभाषा बनी अंग्रेज़ी, 
नागरी नहीं, रोमन नागालैण्ड की स्वीकृत लिपि! 
 
त्रेतायुग के वनवासी भगवान राम का कार्यक्षेत्र 
जहाँ उत्तर पश्चिम और दक्षिण भारत क्षेत्र रहा, 
वहीं द्वापर युग में पाण्डवों ने वन अभिगमन 
इसी पूर्वोत्तर भारत ‘नॉर्थ इस्ट फ्रंटियर’ क्षेत्र में
किरात मंगोल से वैवाहिक सम्बन्ध बना किया! 
 
मणिपुर है मुकुटमणि, अर्जुन की ससुराल भूमि, 
चित्रांगदा उलूपी मणिपुर राज की राजकन्या थी, 
उलूपी थी कद्रू-कश्यप के कौरव्य नाग वंश की, 
वर्तमान में म्यांमार से सटा हुआ उखरुल नगर
जो पूर्व काल में ‘उलूपीकुल’ नामक जनपद था! 
 
नागकन्या उलूपी थी अर्जुन की धर्मपत्नी, 
और अर्जुन आत्मज इरावान की माता भी, 
मणिपुर राज्य की एक ‘तांखुल’ जनजाति 
महारानी उलूपी को अपनी पूर्वजा मानती, 
उलूपी व अर्जुन का पुत्र राजकुमार इरावान 
अद्भुत महावीर योद्धा था, मचाई सनसनी
कुरुक्षेत्र में कौरव सैनिकों की होश उड़ा दी! 
 
आज भी मणिपुर और पूर्वोत्तर राज्य में
उलूपी की अपनी जनजाति के ‘तांखुल’
‘मार्शलआर्ट’ में होता है बड़ा ही निपुण 
कृष्ण और पाण्डवों के इन रिश्तेदारों से
पता नहीं क्यों देश हमारा है उदासीन? 
 
मणिपुर महाराज चित्रांगद की राजकुमारी
चित्रांगदा भी सव्यसाची अर्जुन की भार्या, 
और राजपुत्र बभ्रुवाहन की राजमाता थी, 
चित्रांगदा का विवाह हुआ था अर्जुन से 
इस एक शर्त पर कि चित्रांगदा ही होगी
उत्तराधिकारी मणिपुर राज्य के राजा की! 
 
यह परंपरा रही है कल और आज भी 
जनजातियों में मातृसत्तात्मक होने की, 
चित्रांगदा कन्या थी मैतेई जनजाति की, 
मैतेई नारी माँएँ आज भी सैनिकों जैसी 
अपने कुल क़बीले हित की रक्षा करती
 चित्रांगदा और अर्जुन का पुत्र बभ्रुवाहन 
ऐसा उद्भट योद्धा था कि अनजाने में 
पराजित किया अपने पिता अर्जुन को! 
 
मैतेई है तिब्बत बर्मी मणिपुरी भाषाई, 
मंगोल नस्ल के, श्रीकृष्ण के उपासक, 
हिन्दू धर्मावलम्बी, गोपालक जन जाति, 
अधिकांशतः वैष्णव व शुद्ध शाकाहारी, 
ईसाईयत में धर्मांतरण होने से बची हुई
ये विष्णुप्रिया मैतेई इंफाल घाटी में बसी! 
 
पहाड़ों पर बसी कुकी ईसाई जन जाति, 
मैतेई को पहाड़ियों पर बसने नहीं देती, 
जिसके लिए चाहिए जनजाति का दर्जा, 
जिसे बहुसंख्यक मैतेई से छीन ली गई, 
आज मैतेई कुकी में संघर्ष इसी बात का, 
मणिपुर पहाड़ी में मैतेई नहीं बस सकते, 
मगर बर्मा की कुकी शरणार्थी आ बसते! 
 
मणिपुर में क़ानून है ऐसा कि साठ फ़ीसदी
मैतेई हिन्दू आबादी हेतु दस प्रतिशत घाटी, 
पर नब्बे प्रतिशत पहाड़ी में चालीस फ़ीसदी 
कूकी रहती पहाड़ी व घाटी में भूमि ख़रीदती
पर मैतेई पहाड़ी पर भूमि नहीं ख़रीद सकती, 
इसके लिए मैतेई जनजाति का दर्जा चाहती! 
 
मेघालय राज्य की ‘खासी’ जनजाति की
ख़ासियत ऐसी है कि वे बड़े तीरंदाज़ होते, 
तीरंदाज़ी करते हैं, बिना अँगूठा प्रयोग के
स्वपूर्वज दानवीर एकलव्य के सम्मान में, 
जिन्होंने अँगूठा गुरु द्रोण को दक्षिणा दिया
और बने मगधराज जरासंध का सेनापति! 
 
आज असम राज्य खंड-खंड खंडित होकर 
अष्ट बहना प्रांत को जन्म देकर उभरा है, 
उत्तर में उगता सूरज का प्रदेश अरुणाचल
विस्तारवादी चीन की कुदृष्टि में पड़ा हुआ, 
पूर्व दिशा में नागालैण्ड और मणिपुर फैला, 
दक्षिण में मेघालय और मिजोरम राज्य है, 
पश्चिम दिशा में बांग्लादेश से घिरा हुआ! 
 
आज भी भारत के सारे पूर्वी भूखण्ड पर
सनातन हिन्दू शैव शाक्त बौद्ध धर्म का
बहुत ही गहरा प्रभाव है, लेकिन पूर्व की
उपेक्षा से धर्मांतरण तेज़ी से बढ़ रहा है, 
चीन, बांग्लादेश व बर्मा के सीमा पार से
घुसपैठिए व नशीले पदार्थ का ख़तरा है! 

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