नारी तुम वामांगी क़दम क़दम की सहचरी नर की 

01-01-2023

नारी तुम वामांगी क़दम क़दम की सहचरी नर की 

विनय कुमार ’विनायक’ (अंक: 220, जनवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

नारी तुम वामांगी! 
क़दम-क़दम की सहचरी नर की
न पीछे, न आगे, बायीं ओर चलो
सुदिन-दुर्दिन में भी बनी रहो तुम तारामती! 
 
हमें बनने दो चाण्डाल सेवक हरिश्चंद्र
ईमानदारी पूर्वक मृत्यु कर वसूलने दो 
अपने आत्मज और आत्मीय जन से भी! 
 
बचा लेने दो बदनाम होती हमारी जाति को 
भाई-भतीजावाद/घूस-तरफ़दारी के आरोप से
इस कफ़नचोर श्मशान में, 
पास हो लेने दो मुझे सत्य के इम्तिहान में! 
 
नारी तुम वामांगी! 
क़दम-क़दम की सहचरी, 
तुम सीता बनो राम की! 
साथ दो, हम विचरेंगे वन-उपवन में
पितृभक्ति/मातृऋणमुक्ति/बंधुस्नेह/जनसेवा कार्य से 
समय-समय पर हम देंगे दक्षता परीक्षण! 
 
और तुम गुज़रोगी अग्नि परीक्षा से 
जन आरोप की जाँच पर
हम सहज स्वीकारेंगे निलंबन आदेश
तुम झेलोगी निर्वासन का दंड
और हम खरे उतरेंगे साथ-साथ आख़िरी इम्तिहान में 
जब मातृभूमि पर निछावर हो देगी 
तुम पवित्र भू कन्या होने का प्रमाण! 
 
हम करेंगे कर्मयज्ञ अंतिम साँस तक
बायीं छाती में तुम्हारी स्वर्ण प्रतिमा बसाकर
इस दहकते रेगिस्तान में
साँस लेने दो मुझे खुले आसमान में! 
 
नारी तुम वामांगी! 
क़दम-क़दम की सहचरी घर-बाहर की/रण की
तुम नहीं दुपहिया वाहन की पहिया 
न आगे की/न पीछे की
न ट्रैक्टर के छोटे या बड़े चक्के
न कार की लहराती-फरफराती टायर
तुम तो जीवन रथ के सारथी कृष्ण हो! 
 
तुम्हारे ही भक्ति-स्नेह-आदेश-निदेश-प्रेरणा से 
हम महारथी सा महाभारत लड़ते
तुम्हारे ही शक्ति-आश्वस्ति-विश्वास से 
हम सियाचिन-कारगिल ग्लेशियर में कट मरते
मातृस्वरूपा कश्मीर-सतबहना प्रांत के ख़ातिर
हम क्षत-विक्षत लाश हो/दुश्मन की बाँस में 
मरे ढोर सा लटके/पड़े होते बर्फ़ीले टीले पर
इस कफ़नचोर क़ब्रिस्तान में 
बेकफ़न हो सो लेने दो मातृभूमि के सम्मान में! 

नारी तुम वामांगी! 
क़दम-क़दम की सहचरी हो नर की
न आगे, न पीछे, बायीं ओर चलो
तुम प्रकृतिसिद्ध अधिकारिणी हो वाम दिशा की 
मत भागो दाहिनी ओर जिधर ख़ास ख़तरे हैं 
तुम्हारे लिए अशुभ यमद्वार/कठोर पहाड़/
लारी-बस-रिमोट के राक्षस, 
सारे नारीपन के विरुद्ध/सृष्टि विध्वंसक! 
 
यमद्वार तोड़ने दो मुझे, कठोर पहाड़ फोड़ने दो 
रिमोट के राक्षस से देह रगड़ने दो मुझे
तुम करो वृद्धजन की सेवा/बच्चों की हिफ़ाज़त
पढ़ाई-लिखाई आदि शुभकर्म
और हमारे दीर्घायुपन की कामना
यमजेता सावित्री की तरह
भूत-भविष्य-वर्तमान को हाथ में थामकर! 
 
दावा है क़दमों में होंगे चाँद-सितारे! 
इस सिमटते आसमान में ज़रा रो लेने दो 
इस मिस इंडिया/खोए भारत की शान में! 

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