बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ गांधारी कुन्ती कैकई यशोदा होती

15-04-2025

बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ गांधारी कुन्ती कैकई यशोदा होती

विनय कुमार ’विनायक’ (अंक: 275, अप्रैल द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


–-विनय कुमार विनायक 

बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
आँख में पट्टी बाँधनेवाली अंधी बनी गांधारी होती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
सोच से कमज़ोर बच्चों के लिए सहज अविचारी होती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
कुन्ती होती एक सुन्दर वधू को सारे पुत्रों में बाँट देती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
अपने बच्चों के गृहस्थ जीवन में धर्मसंकट पैदा करती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
कैकई होती अपने लड़के के लिए पति से ही लड़ लेती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
यशोदा होती जो पुत्र को अल्प वय में रास रचाने देती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
अपने बच्चों को पिता से दूरी व शत्रुता भाव सिखा देती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
अपने बच्चों को अति प्रशंसा का मीठा ज़हर पिला देती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
बच्चों को अनुशासित नहीं कर पाती स्वछंद बना देती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
बच्चों की बुराई परख नहीं पाती कमी पर पर्दा डालती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
बहुत नासमझ होती बच्चों की रक्षा में हत्या कर देती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
बच्चों के लिए पिता का अनुशासन छीन उसे हीन करती! 
  
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
कौशल्या नहीं होती, कैकई हो दूसरी संतति का हक़ मारती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ
पुत्र से भरत सा अंधा प्यार करती अवैध अधिकार चाहती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
बच्चे के समझदार होते उससे भरत जैसा तिरस्कार पाती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
अपने बच्चों को जीवन का यथोचित संस्कार नहीं दे पाती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
अपनी ही ग़लती से बच्चों को हक़मार कौरव बना देती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
बच्चों की बर्बादी का ठीकरा पति और भगवान पर फोड़ती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
गांधारी सा सतीत्व दंभ पर बच्चों को विजेता बनाना चाहती! 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
अनजाने में बच्चों से उसके पिता के दायित्व को छीन लेती! 
 
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
बच्चों के प्रति पिता की अहमियत व नीयत को नहीं समझती
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ 
अपने वृद्धापन में पुत्रवधू औ’ जमाता के हिक़ारत को झेलती! 
 
जिन बच्चों के पिता अंधा हो 
उन बच्चों की माँ को हमेशा आँखें खोलकर रखनी चाहिए! 
जिन बच्चों के पिता ज़िन्दा हो 
उन बच्चों को पिता के होने का अहसास होने देना चाहिए! 
 
जिन बच्चों के पिता भ्रष्ट नहीं हो 
उनकी माँ अपने बच्चों को कष्ट में जीना सिखाना चाहिए! 
जिन बच्चों के पिता आचरण से शिष्ट हो 
उनकी माँ बच्चों को पिता के आदर्श पर चलना सिखाना चाहिए! 
 
जिन बच्चों के पिता मेहनताने से संतुष्ट हो 
उन बच्चों को ऊपरी कमाई वाले की संतान से मैत्री ना होने दे! 
जिन बच्चों के पिता रिश्ते व रिश्वत से रुष्ट हो 
उन बच्चों के सामने माँ पिता के रुक्ष स्वभाव की आलोचना न करे! 

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