जिसको जितनी है ज़रूरत ईश्वर ने उसको उतना ही प्रदान किया 

15-11-2024

जिसको जितनी है ज़रूरत ईश्वर ने उसको उतना ही प्रदान किया 

विनय कुमार ’विनायक’ (अंक: 265, नवम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

ये हक़ीक़त है कि जिसको जितनी है ज़रूरत 
ईश्वर ने उसको उतना ही प्रदान किया 
ज़रूरत से ज़्यादा ना किसी को मिला ना मिलेगा
जंगल के राजा सिंह को सींग नहीं मिले 
सींग आए गाय बैल बकरी हिरण भैंसे के हिस्से! 
 
लाख कोशिश और सियासत कर ले
वेद पुराण अवेस्ता एंजिल बाइबिल क़ुरान पढ़ ले 
पूजा नमाज़ अरदास करके मन्नत माँगे
सिंह बाघ भालू भेड़िया सियार कुत्ता बिल्ली कुल के
परभक्षियों को कोई ईश्वर अल्लाह ख़ुदा परवरदिगार 
मनवांछित वरदान देगा नहीं सींग उग आने का! 
 
यह जीव जगत आदमी की चाहत से नहीं बदलता 
रावण की चाहत थी स्वर्ग में सीढ़ी लगाने की
और त्रिशंकु ने चाहा था सशरीर स्वर्ग जाने का 
आज भी चाहता है आदमी आदमी को मारकर 
स्वर्गलोक जन्नत में हूर परी अप्सरा पाने का 
जो पहले भी किंवदंती थी आज भी है ढकोसला! 
 
क़ुदरत का क़ानून है ऐसा
कि निरीह तृणभक्षी हिरण भैंसा सींग घुसेड़कर 
ख़ूँख़ार सिंह बाघ भालू तेंदुआ चीता लोमड़ी से 
अपने वंश को स्वयं ही बचा लेता 
अक्सर चीते की रफ़्तार बिना सींग वाली
मादा हिरणी की चौकड़ी से मात खा जाती! 
 
ये गदहे और इंसान के हक़ में है ख़ुदा का फ़ैसला 
कि गदहे के सिर से सींग ग़ायब हो गया 
और वो जंगल से जान बचाकर भागा
और इंसानों के बीच बोझ उठाने आ गया 
वर्ना गदहा बेचारा जंगल में जीवित नहीं बच पाता! 
 
यह क़ुदरत का करिश्मा है कि धरती के 
सबसे बड़े शाकाहारी हाथी को हाथ व सींग दोनों नहीं मिले
जिससे ताक़तवर घोड़ा और हाथी इंसानों का साथी बन गया! 
 
जल का सबसे बड़ा जीव ब्लू व्हेल मछली इतनी बड़ी होती 
कि स्थल का सबसे बड़ा प्राणी दो चार हाथी एक साथ खा सकती
मगर विडम्बना है कि ये जलचर थल में आते ही मर जाते! 
 
फलाहारी बंदर चिम्पांजी घास और मांस नहीं खाता 
सींग नहीं ख़ूँख़ार दाँत नहीं, लंबी पूँछ मिली पेड़ों पर जीता 
पक्षी छोटा और मांसल होता थल में जी नहीं सकता
जिससे पंख मिले नभ में उड़कर वृक्ष में रहकर जी लेता! 
 
सीधी साधी गाय के थन में क़ुदरत ने इतना दूध भर दिया 
कि उसने मानव माता का दर्जा पाकर गोवंश को बचा लिया! 
 
ये समस्त जीव जंतुओं के प्रति ईश्वरीय न्याय है
कि आदमी को बुद्धि विवेक देकर पशुता का हरण किया 
आदमी को ना खाल मिली, ना सींग मिला, ना बघनखा 
फिर भी आदमी है कि ‘हिम्मते मर्दा मददे ख़ुदा’ पा गया! 
 
आदमी ने हिम्मत की हाथी बाँधा बाघ सिंह कुत्ता पाला
आदमी अपने बुद्धि विवेक संकल्प से मालामाल हो गया 
आदमी में आदमियत से उम्दा कोई गुण नहीं हो सकता 
मगर आदमी जब आदमियत खोता फिर कुछ नहीं बचता 
ईश्वर अल्ला ख़ुदा रब सबके सब आदमी से दूर हो जाता
इस जहाँ में आदमी का शत्रु कोई नहीं है आदमी के सिवा! 
 
त्रिदेवों ने पहले भी ब्रह्मास्त्र वैष्णवास्त्र पाशुपतास्त्र बनाया 
अताताइयों ने ब्रह्मा से ब्रह्मास्त्र इन्द्र से अमोघ अस्त्र पाया 
आज भी आदमी को ओपेन हाईमर ने परमाणु अस्त्र दिया! 
 
मगर सृष्टि नाश का जब जिसने भी कुविचार किया 
वो ब्रह्मास्त्र संधान मंत्र भूलकर काल के गाल में समा गया 
चाहे हो नापाक भातृद्रोही दुर्योधन कर्ण अश्वत्थामा या चीन पाक 
महाकाल को अति ज़्यादती अनीति फ़िरकापरस्ती पसंद नहीं 
कृष्ण ने कहा अर्जुन से ओपेन हाईमर तक ने सुना गुना चेताया
‘कालः अस्मि लोकक्षयत्प्रविद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृतः’ (गीता) 
उस एटम बम की क़ीमत दो जून की रोटी से कम ही होती! 

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