आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता

01-04-2024

आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता

विनय कुमार ’विनायक’ (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

आज का समय है छल-छंद का 
आज का समय है घृणा द्वेष जलन का 
आज का समय है बेगानेपन का 
आज का समय नहीं है अपनेपन का! 
 
आज का रिश्ता झटके में टूट जाता 
आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता! 
 
एक वाट्सएप मैसेज छूने, नहीं छूने पर 
डबल टिक निशान ग्रीन होने, नहीं होने पर 
हमारा आगे का सम्बन्ध निर्भर करता
आज का रिश्ता बहुत जल्द मर जाता! 
 
आज बहुत कम हो गई है आदमियत 
आज बहुत जल्द बेदम हो जाती इंसानियत 
छोटी-मोटी बातों से ख़राब हो जाती नीयत! 
 
आज अगर उठाया नहीं किसी का फोन 
और बजते हुए छोड़ दिया फ़ुल्ल रिंगटोन 
तो संवेदना सहानुभूति हो जाती है मौन! 
 
अगर किसी ने किया आपको मोबाइल 
और आपने पूछ लिया प्रश्न आप हैं कौन 
तो भाड़ में गई दोस्ती यारी औ’ रिश्तेदारी 
आज आदमी हो गया बड़ा तुनुकमिज़ाजी! 
 
अगर आपने कुछ दिनों तक बात नहीं की 
तो शीघ्र बदल जाएँगे आपके सगे संबंधी 
आज भाई बहन के बीच हो गई है हदबंदी 
आज का हर आदमी हो गया है ख़ुशामदी! 
 
आज फोन पर फ़ेसबुक वाट्सएप के चैट से 
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लव अफ़ेयर सेट हो जाता 
माँ-पिता देश-धर्म अंधे प्यार की भेंट चढ़ जाता! 
 
बेटा बाप से लड़ जाता बेटी माँ से अड़ जाती 
पत्नी छोड़ देती पति को, पति छोड़ देता पत्नी! 
 
ज़िन्दगी जब तक ख़राब नहीं हो जाती दोनों की
तब तक ऐसे अंधे प्यार का क़सीदा पढ़ा जाता 
जब से ईजाद हुई टेलीफोन मोबाइल टेक्नॉलोजी
तब से कुछ और बिगड़ते गई आदमी की नियति!

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