धनतेरस नरकचतुर्दशी दीवाली गोवर्द्धन भैयादूज छठ मैया व्रत का उत्स 

15-11-2024

धनतेरस नरकचतुर्दशी दीवाली गोवर्द्धन भैयादूज छठ मैया व्रत का उत्स 

विनय कुमार ’विनायक’ (अंक: 265, नवम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

धनतेरस नरकचतुर्दशी दीवाली गोवर्द्धन भैयादूज छठ मैया का व्रत 
बिहार नेपाल कपिलवस्तु यूपी अंग बंग मगध कलिंग व असम से 
निकलकर देश विदेश में फैला पुरोहित रहित श्रमणों का ये उत्सव! 
 
आश्विन मास समापन भगवान बुद्ध के चतुर्मास वर्षावास का भी
कृषि प्रधान भारतवर्ष में वर्ष की गणना वर्षा से जोड़कर की जाती 
धानखेती की महत्ता ऐसी कि धान से धन धान्य धन्यवाद ध्यानी! 
  
धान से धनी धनवान निर्धन निधन निधि धनलक्ष्मी शब्द उत्पत्ति 
कार्तिक मास का आरंभ धान फ़सल की धनकटनी-झड़नी से होता 
धनतेरस त्योहार कहलाने लगा है कार्तिक मास की तेरहवीं तिथि! 
 
तबसे धान संग्रहण हेतु नई झाड़ू और बर्तन ख़रीदने की प्रथा चली 
खत्तीय धनपति शुद्धोधन और महामाया के पुत्र और गोपा के पति 
गौतम जब सिद्धार्थ से दुखभंजक बुद्ध बन गए प्राप्त कर सिद्धि! 
 
पिता के बुलावे पर पहली बार कपिलवस्तु पहुँचे वो तिथि दीवाली 
मगध सम्राट अशोक द्वारा चौरासी हज़ार बुद्ध स्तूप स्थापना की 
ख़ुशी में कार्तिक अमावस की रात्रि काल में दीपावली मनाई जाती! 
 
गौतम ही श्रीवर गोवर कहलाते थे धम्म वृद्धि हेतु जिस पर्वत पर 
गोवर-धम्म-वर्धन का प्रवचन दिए थे तबसे गोवर्द्धन पूजा होने लगी 
गोपा गौतम और कृष्ण गोपिका के नाम से गोवर्द्धन पूजा की जाती
नरकचतुर्दशी कृष्ण द्वारा नरक से सोलह हज़ार एक सौ नारी मुक्ति! 
 
भैयादूज कुछ और नहीं बुद्ध द्वारा भय को दूर करने की है स्मृति 
आज ये उत्सव भाई-बहन का, भाई द्वारा बहन को अभय आश्वस्ति
भैयादूज के बाद छठ मैया का उत्सव मनाने का आरंभ भी मगध से
बुद्ध द्वारा कठिन तप के बाद सुजाता का खीर खाने से सम्बन्धित! 
  
छठ में सूर्य आराधना खरना के दिन खीर का प्रसाद खिलाया जाता 
छठ मैया व्रत कुछ और नहीं बुद्ध सुगत-पत्नी सुगता की तप गाथा 
छठ मैया गौतम की तपस्विनी पत्नी गोपा को भी मानने की मान्यता
सुगत बुद्ध पत्नी सुगता कात्यायनी से मिले वो दिन था दीवाली का! 
  
ये पर्व कृषक समाज की विरासत कालांतर में और किंवदन्ती जुट गई
कृषक श्रमण धम्म से हिन्दू धर्म बनने तक कुछ मान्यता आस्था बनी
राम ने रावण को जीतकर वन से गृह वापसी की वो तिथि भी दीवाली 
मगध में सूर्य पूजक मग याजकों के द्वारा सूर्य आराधना की जाती थी 
ध्येय धन धान्य दीर्घायु हेतु धनदेवी धन्वंतरि सूर्य का ध्यान लगाना ही! 

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