अमृता तुम क्यों मर जाती या मारी जाती?
विनय कुमार ’विनायक’
अमृता तुम क्यों मर जाती या मारी जाती?
अमृता बड़े विश्वास से
तुम्हारे पिता नाम देते रहे हैं तुम्हें अमृता
इस आशा में कि तुम नहीं मरोगी
अजर-अमर होकर जल थल नभ में विचरोगी!
मगर हर अवसर पर नाम के विपरीत
तुम मर जाती हो या मार दी जाती हो!
पिता का भरोसा पहली बार तब टूटता
जब तुम अपनी माँ के गर्भ में आती हो
और तुम्हारी माँ की गोद भराई रस्म में
तुम्हारी दादी तुम्हारी माँ को
पुत्रवती भव का आशीर्वाद देती
मानो तुम्हारे आगमन को रोकना चाहती!
दूसरी बार पिता का भरोसा तब टूटता
जब तुम्हारी माँ तुम्हारे पिता से पूछती
क्या सचमुच में पुत्र ही होगा या नहीं?
इस प्रश्न चिह्न के
बावजूद तुम वुजूद में आ जाती
तो दादी का आशीष झूठ हो जाता
तुम्हारी माँ भी उदास हो जाती!
मगर सबसे अधिक अगर कोई ख़ुश होता
तो वह तुम्हारा पिता ही होता
और पुकारता अमृता! अमृता!! अमृता!!!
बेटी अमृता ताकि तुम मृत्यु को जीत सको!
जानती हो अमृता अब कोई पिता
पुत्री को सीता नाम क्यों नहीं देता?
क्योंकि अंदेशा है कि तुम्हारी पढ़ाई लिखाई
और तरक़्क़ी से जलने वाला रिश्ते का
कोई ईर्ष्यालु धोबी झूठा लांक्षण लगाकर
तुम सीता को राम से परित्याग करा सकता!
वैसे तो सृष्टि की
पहली दूसरी तीसरी बेटी का नाम
श्रद्धा मरियम हव्वा था
और तीनों का पिता भी एक ही था!
मगर तीनों का पति पतित हो गया
श्रद्धा के पति मनु ने इड़ा पर आँख गड़ाई
मरियम के पति ने उसको कुँवारी माँ बनाया
हव्वा के पति ने वर्जित फल खाकर खिलाकर
हव्वा को जन्नत से ज़मीं पर च्युत करा दिया!
आज कोई पिता अपनी पुत्री का नाम
श्रद्धा मरियम हव्वा रखने से क्यों डरने लगा?
क्योंकि श्रद्धा की आज की बेटी श्रद्धा को
आदम की आज की औलाद आदमी लव जिहाद में
फँसाकर बलात्कार कर बोटी-बोटीकर मारने लगा!
मरियम की बेटी मैरी को सड़क छाप रोमियो
बहला फुसलाकर कुँवारी माँ बनाने लगा
और हव्वा की आज की बेटी हलाला से डरी हुई!
कब रुकेगा यह सिलसिला
कि सिर्फ़ नाम लिंग और धर्म की वजह से
तुम दुखाई सताई मारी जाती रहोगी
क्या ईश्वर ईसा ख़ुदा तीनों रचनाकार एक नहीं हैं?
फिर तुम तीनों बहन श्रद्धा मरियम हव्वा की
मुखाकृति देह यष्टि रचना एक जैसी क्यों हो जाती?
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