परमात्मा है कौन? परमात्मा नहीं है मौन!
विनय कुमार ’विनायक’
परमात्मा है कौन?
पूछो परमात्मा से
परमात्मा नहीं है मौन!
परमात्मा नहीं कोई व्यक्ति,
परमात्मा नहीं कोई एक शक्ति,
परमात्मा है समग्र समष्टि!
परमात्मा का कोई आकार नहीं,
मगर परमात्मा निराकार भी नहीं,
समग्र संसार है परमात्मा की आकृति!
परमात्मा की कोई एक मूर्ति नहीं,
लेकिन परमात्मा है अमूर्त भी नहीं,
सभी दृश्य अदृश्य परमात्मा की छवि!
परमात्मा का कोई एक पता नहीं,
मगर परमात्मा लापता भी नहीं,
सारा जहां परमात्मा का ठिकाना!
परमात्मा है ज़मीं, परमात्मा है आसमाँ,
परमात्मा है इंसा, परमात्मा सारा जहां!
परमात्मा है जल, परमात्मा है रोशनी,
परमात्मा है वायु, परमात्मा सबकी आयु!
परमात्मा मिट्टी, मिट्टी का तन ये,
मिट्टी है भोजन, मिट्टी से भोजन मिले!
जब क्षार हो जाता ये तन,
बन जाता पादप का भोजन,
यही परमात्मा का है नियम,
यही परमात्मा का संतुलन!
तुम परमात्मा के बिना कहाँ हो?
तुम्हारे अंदर परमात्मा,
तुम्हारे बाहर परमात्मा,
तुम परमात्मा के साथ बँधे हो!
तुम्हारा जीवन ऑक्सीजन,
तुम्हारा उत्सर्जन विषाक्त कार्बन!
तुम्हारा उत्सर्जन पौधे का भोजन,
पौधे का उत्सर्जन तुम्हारा श्वसन!
पादप व सपाद में नहीं कोई अनबन,
दोनों ही एक दूसरे का है जीवन धन!
जंतु का कार्बन डाइ-ऑक्साइड मरण,
उससे वनस्पति का हो जाता संभरण!
वनस्पति का परित्यक्त ऑक्सीजन,
जीव-जंतुओं का श्वास आस संरक्षण!
तुम्हारा हलचल अंदर का जल,
तुम्हारा बल नहीं है मृदु जल,
सागर सा खारा ‘सैलाईन वाटर’,
तुम हो चंचल ज्यों सिंधु लहर!
तुम्हारा बीजाणु अंकुर गर्भनाल,
नारी के नार में तैरता मृणाल!
जैसे क्षीरोद में विष्णु का हाल,
नार में नारायण को रखे सँभाल!
तुम गर्भ के नमकीन जल में,
जलचर पिसीज मीन बनकर पले,
जैसे परमात्मा का मीनावतार हो निकले!
परमात्मा है परम तत्त्व,
परमात्मा है सबका सत्व!
सूर्यातप से तेज ताप विद्युत चेतना,
सूर्यातप के बिना जीवन मुर्छित होना,
चन्द्र किरण से पादप बीज पुष्टीकरण!
पूर्ण चंद्र से लहर उठे सागर में,
पूर्ण चंद्र से ही हिलोर उठे उर में!
परमात्मा है सकल सृष्टि,
परमात्मा है सजल वृष्टि!
परमात्मा है संपूर्ण प्रकृति,
परमात्मा है सचेतन वृत्ति!
परमात्मा नाम है सापेक्षित
आकर्षण विकर्षण संतुलन का,
ग्रह उपग्रह सौरमंडल ब्रह्मांड का!
परमात्मा नहीं सिर्फ़ अध्यात्मिक उपज,
यह पदार्थ, रसायन, जीव विज्ञान की सजधज!
परमात्मा हर क्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया करे,
परमात्मा अमर ऊर्जा, रूप बदले मगर ना मरे!
परमात्मा न्यूटन लॉ, आइंस्टाइन थ्योरी पर खरे!
परमात्मा पहले जलीय मछली प्रजाती,
फिर जल स्थलीय मेंढक उभयचर,
सरीसृप छिपकली, वायवीय पक्षी एवीज,
अंततः दुग्धग्रंथी स्तनपायी मैमेलिया जीव बन उभरे!
परमात्मा नार से नारायण बनने में
हर अवस्था से गुज़रे,
डारबीन, मेंडल, हरगोविंद खुराना के
नियम जीन जेनेटिक्स, डीएनए,
लैंडस्टीनर की खोज मानवीय ब्लड ग्रुप
सीरम जीव जल खारे!
सबके सब परमात्मा के परम तत्त्व से
बने निखरे हरे भरे प्यारे!
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