हर कोई रिश्तेदार यहाँ पिछले जन्म का

01-05-2023

हर कोई रिश्तेदार यहाँ पिछले जन्म का

विनय कुमार ’विनायक’ (अंक: 228, मई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


हर कोई रिश्तेदार यहाँ पिछले जन्म का, 
हर कोई किराएदार यहाँ पिछले जन्म का! 
हर कोई क़र्ज़ चुकाने, उगाहने आता पिछले जन्म का! 
 
यहाँ नहीं कोई मित्र और नहीं कोई शत्रु होता, 
दोस्त और दुश्मन आ मिलते, पिछले जन्म का, 
जिससे हमने जो लिया, दिया, वो सब ले, दे जाएँगे! 
ख़ाली हाथ आए हैं ख़ाली हाथ जाएँगे, 
जो भी हमने लिया-दिया यहीं आकर, 
सारे लेन-देन का चुकता होगा यहीं पर! 
 
इस धरती की हर चीज़, इस धरती पर रह जाएगी, 
इस धरती से देह मिली, नेह मिला, देह-नेह यहीं रह जाएँगे, 
जिसको जितनी ख़ुशियाँ बाँटी, उतनी वो लौटाएँगे! 
जिसका हमने जितना ख़ून पिया, आँसू पिए, 
उतना ख़ून वो पी के रहेंगे, आँसू गिरा ही देंगे! 
खारे समुद्र की एक भी खारी बूँद नहीं घटती, 
जितना जल मेघ पीता उतना जल उझल देता! 
 
जितना अहं, दंभ, षड्यंत्र, करेंगे, उतना तो सहेंगे ही, 
जितना घन घमंड करता, उतनी बिजली नर्तन करती! 
बेज़ुबानों की ज़ुबाँ हरेंगे, बेज़ुबान हो के जाएँगे ही, 
क्यों निष्ठुर बनते हो, सामने वाले को जीने तो दो, 
मीठी बोली बोलो, पीने को जल दो, बैठने तो कहो! 
 
बेदाम जो वस्तु मिले, उसे बाँटते, क्यों मोह करते हो? 
सब कोई अपना, सबके सब परमात्मा के आत्मज हो! 
आत्मा की जाति नहीं होती, ना बड़ी ना छोटी होती, 
आत्मा जितनी टूटती बंटती, उतनी की, उतनी होती! 
 
काया चाहे जितनी छोटी या बड़ी होती, 
आत्मा उतनी की उतनी अवश्य हो जाती! 
आत्मा, आत्मा में भेद नहीं, आत्मा ही परमात्मा होती, 
हर जीव ईश्वर है, ईश्वर की हर जीवात्मा थाती होती! 

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