स्कॉउण्ड्रल

07-02-2017

स्कॉउण्ड्रल

सुभाष चन्द्र लखेड़ा

वे मेरे परिचित हैं। यह परिचय फेसबुक के माध्यम से हुआ। वे अक्सर बड़े लोगों द्वारा कही बातों ( क्वोटेशन्स ) को अंग्रेज़ी या हिंदी में अपने नाम से पोस्ट किया करते हैं।

ख़ैर, अच्छी बातें किसी ने भी कही हों, उनका प्रचार-प्रसार होना चाहिए। बहरहाल, वे मेरे ही शहर से हैं। संयोगवश एक बार किसी जगह मुलाक़ात हुई तो पता चला कि हम दोनों तो फेसबुक में पिछले चार वर्षों से मित्र हैं। ख़ैर, इधर कुछ महीनों से उन्हें एक नया रोग लग गया है। वे अपने विचार फेसबुक पर पोस्ट करते हैं और फिर उसके नीचे लिखते हैं - "अगर आप सच्चे देशभक्त हैं तो इस पोस्ट को ज़रूर शेयर करें।" मुझे कभी यह समझ न आया कि उनका ऐसे लिखने के पीछे क्या मंतव्य हो सकता है? ख़ैर, मुझे लंबा इन्तजार नहीं करना पड़ा। कल शाम उनसे फिर अचानक राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर फिर मुलाक़ात हुई तो मैंने उनसे सीधे पूछ लिया कि ये सच्चा देश भक्त क्या होता है? वे हँसते हुए बोले - "अगला चुनाव लड़ने का इरादा है। पोस्ट शेयर करवाकर अभी से अपने प्रचार में जुटा हूँ। सोशल मीडिया में बड़ी ताक़त है। " फिर कुछ देर सोचने के बाद वे चलते हुए बोले, "मेरी मेट्रो आने वाली है। यूँ आपने तो ज़रूर पढ़ा-सुना होगा "पेट्रिऑटिज़्म इज़ द लास्ट रेफ्यूज ऑफ़ अ स्कॉउण्ड्रल"।"

मैं उनसे सम्युल जॉनसन की इस उक्ति (कोटेशन) को सुनकर अभी तक अचंभे में हूँ। लगता है या तो उन्हें "स्कॉउण्ड्रल"' शब्द का अर्थ मालूम नहीं है अथवा वे देश की राजनैतिक स्थिति से पूरी तरह से वाकिफ़ हैं।

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