लोकतंत्र का अर्थ

01-05-2020

लोकतंत्र का अर्थ

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 155, मई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

किशोर को थानेदार ने तीखी आवाज़ में पूछा, "रामसेवक जी कह रहे थे कि तू मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ बोल रहा था। उन्हें गालियाँ दे रहा था।" 

किशोर अभी उस थप्पड़ को नहीं भूला था जो थानेदार ने उसे थाने में पहुँचते ही मारा था। वह घिघियाते हुए बोला, "रामसेवक भी हमारे नेता जी के ख़िलाफ़ बोल रहा था। सर, गाली तो मैंने कोई ना दी। इतना ज़रूर कहा था कि मुख्यमंत्री ने अभी तक एक भी वादा पूरा नहीं किया।" 

"साले, तू करेगा मुख्यमंत्री साहब का ऑडिट। तूने सुना नहीं; वे अब इस प्रदेश में गुंडई का ख़ात्मा करके रहेंगे।" 

न जाने किशोर को क्या सूझी, वह धीमी आवाज़ में बोला, "सर, लोकतंत्र में सरकार के ख़िलाफ़ बोलना तो जनता का बुनियादी हक़ है।" 

किशोर की इस बात को सुनकर थानेदार दाँत पीसते हुए कुछ दूर खड़े सिपाही से बोला, "सुमेर, इसे अंदर ले जा और लोकतंत्र का अर्थ समझा देना।"

कुछ ही देर में अंदर से आती आवाज़ें बता रही थीं कि सुमेर ने किशोर को लोकतंत्र का अर्थ समझाना शुरू कर दिया था।   

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