डॉ. चकोर

01-03-2015

आजकल डॉ. चकोर रोज़ उठकर उगते सूर्य को दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करना कतई नहीं भूलता है। उसके बाद ही वह नाश्ता करके उस ग़रीब बस्ती के कोने पर स्थित अपने "चकोर औषधालय" जाता है। मैट्रिक पास चकोर के पास यूँ तो कोई मेडिकल डिग्री नहीं है लेकिन तीन साल तक शहर के एक डॉक्टर के दवाखाने में नौकरी करने के बाद उसने जोड़-तोड़कर आरएमपी का लाइसेंस प्राप्त कर लिया था। वह अपने को पेट और गर्मी के रोगों का विशेषज्ञ बतलाता है। उसे डायरिया, कांस्टिपेशन, एसिडिटी, क्रैंप्स, डिहाइड्रेशन, पेप्टिक अल्सर, वोमिटिंग, इनडाइजेशन, टाइफाइड, हीट स्ट्रॉक, सनस्ट्रॉक, हाइपरथर्मिया, और इंफेक्शन जैसे शब्द याद हैं। इनको जब-तब बोलकर वह ग़रीब लोगों पर अपने ज्ञान का सिक्का जमा चुका है। गर्मी के दिनों में उसके पास जलजनित रोगों से पीड़ित ऐसे रोगी अधिक आते हैं। फलस्वरूप, वह रोज़ सुबह सूर्य को नमस्कार कर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता है और उनसे इस गर्मी को बनाए रखने की प्रार्थना करता है।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता - हाइकु
स्मृति लेख
लघुकथा
चिन्तन
आप-बीती
सांस्कृतिक कथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
व्यक्ति चित्र
कविता-मुक्तक
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में