भारत वर्ष का हर्ष

01-10-2025

भारत वर्ष का हर्ष

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 285, अक्टूबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

तुम नमक नहीं, चंदन हो, वीर, 
हर चौके, छक्के में दिखा दिया धीर। 
देशभर में फैल गया अद्भुत हर्ष, 
सदा चमकते रहो हमारे भारत वर्ष। 
 
साहस तुम्हारा निखरा यूँ हर पल, 
चुनौती भी थमी, सूरज गया ढल। 
दर्शकों के दिलों में बसा भारत वर्ष, 
गूँजा गगन में तब भारत का हर्ष। 
 
खिलाड़ी नहीं केवल, प्रेरणा हो तुम, 
विश्व ने देखा विजय का तिलक हो तुम। 
हर रन और कैच में बरसा हर्ष, 
सारे दिलों में गूँजा अद्भुत भारत वर्ष। 
 
नमन है तुम्हें, आज रणवीरों की तरह, 
विकट परिस्थितियों में शूरवीरों की तरह। 
वीरता की गाथा गूँजी पूरे भारत वर्ष, 
जो सजाता मैदान को बनकर हर्ष। 
 
हार की परवाह न की, झुके नहीं कभी, 
सपनों को सच कर दिखाया मैदान में सभी। 
सशक्त और निर्भीक भारत का हर्ष, 
सफलता की धूप खिली पूरे भारत वर्ष। 
 
तुम नमक नहीं, चंदन हो, वीर, 
सदा चमकते रहो, रखो मन में धीर। 

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