प्रिय मित्रो,
इन दिनों कोई भी अच्छा समाचार तो किसी भी तरफ़ नहीं आ रहा है। साहित्य कुञ्ज भी काल के प्रकोप से बच नहीं पाया है।
19 मई को हम लोगों ने साहित्य कुञ्ज के ग़ज़ल संपादक और कैनेडा के साहित्य जगत के प्रमुख लेखक, हिन्दी-कर्मी श्री अखिल भंडारी जी को खो दिया। स्व. अखिल भंडारी 2016 से कैंसर से पीड़ित थे। उन्होंने यह संघर्ष अकेले बिना किसी को बताए लड़ा। अखिल जी ने किसी भी मित्र से, व्यक्तिगत या साहित्यिक, यह पीड़ा साझी नहीं की। कुछ महीने पूर्व फोन पर बातचीत करते हुए मुझे उनकी आवाज़ से कुछ संदेह हुआ तो मैंने कहा, “अखिल जी आज आपकी आवाज़ में दम नहीं है।" उन्होंने हँस कर बात टाल दी, “सुमन जी, आजकल मेरी आवाज़ कुछ ऐसी ही हो गई है।" कुछ बताया नहीं।
कुछ महीने पहले से, जब भी उनको ग़ज़लें सम्पादन के लिए फ़ॉरवर्ड करता था तो उनकी प्रतिक्रिया मिलने में देर लगने लगी थी और एक दो बार उन्होंने कहा भी कि बहुत थक जाता हूँ। उसके बाद मुझे लगने लगा कि अखिल जी को तंग करना ठीक नहीं है। एक-दो माह के बाद मैंने अपनी चिंता प्रकट करते हुए ई-मेल लिखी तो उनका धन्यवाद का संदेश मिला। फिर 28 अप्रैल को अचानक उनका व्हाट्स ऐप्प का संदेश मिला कि वह एक सप्ताह से अस्पाल में हैं और कोई दवा काम नहीं कर रही। मेरे पैरों तले से ज़मीन सरक गई। बीमारी की गम्भीरता की चिंता अब वास्तविकता बन गई थी।
28 अप्रैल को उन्होंने कहा कि अस्पताल में रहते हुए उन्होंने कुछ ग़ज़लें लिखी हैं, अगर मैं उन्हें प्रकाशित कर सकूँ तो उन्हें अच्छा लगेगा। बल्कि उन्होंने ऊर्दू के शायर जाफ़र अब्बास जी की एक नज़्म भी भेजी जो सब साहित्य कुञ्ज में प्रकाशित हुआ।
अंतिम दिनों में परिवार की इच्छा थी कि अखिल जी के काव्य की एक पुस्तक प्रकाशित हो। मैंने सलाह दी कि प्रिंट में तो थोड़ा समय लग सकता है परन्तु ई-पुस्तक दो-तीन दिन में बन सकती है। अखिल जी की पुस्तक बनाने में कोई समस्या नहीं थी, क्योंकि अखिल जी शुद्ध लिखते थे। सही वर्तनी, सही व्याकरण और विराम चिह्नों का सही प्रयोग।
अखिल जी की ई-पुस्तक पुस्तक बाज़ार.कॉम (pustakbazaar.com) पर 6 मई को अपलोड हुई। उन्होंने देखी और मैसेज भेजा –
"सुमन जी,
इतने कम समय में आप ने मेरी किताब को संपादित और प्रकाशित कर दिया, यह तो अपने आप में ही एक आश्चर्य देने वाली सराहनीय घटना है, लेकिन इस में निहित मेरे प्रति आप की अति उदारता एवं सद्भावना ने तो मुझे मूक ही कर दिया। ईश्वर से प्रार्थना है कि अगले कुछ दिनों में मुझे कम से कम इतनी शक्ति प्रदान करें कि आप से और बात-चीत हो सके।"
इसके बाद दिन-प्रतिदिन जीवन उनसे दूर सरकता चला गया। जब पुस्तक प्रिंट होकर आई, उन्होंने देख तो ली परन्तु प्रतिक्रिया नहीं दे पाए और 19 मई की सुबह वह चले गए।
अखिल जी जितने अच्छे साहित्यकार थे, उतनी ही सफलता उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन में, अपने कार्यक्षेत्र में भी प्राप्त की थी। लगभग चार वर्ष पहले वह हिन्दी राइटर्स गिल्ड की गोष्ठी में पहली बार आए थे। अभी वह प्रैट एंड व्हिट्नी के सी.आई.ओ. के पद से सेवा निवृत्त हुए थे। उनके व्यवसायिक परामर्श गिल्ड के लिए बहुमूल्य थे।
प्रायः उनसे हिन्दी के साहित्य पर गहन चर्चा होती। फोन पर एक घंटे से अधिक बात होते रहना आम बात थी। अखिल जी को साहित्य प्रेम और लेखन विरासत में मिला था। उनके पिता लाहौर में रहते हुए शायर थे, पिता जी के भाई उर्दू की पत्रिका का प्रकाशन करते थे, जिसमें उस समय के उभरते शायर और बाद में भारत के प्रसिद्ध शायर प्रकाशित होते थे।
जिस भी ग़ज़ल लेखक ने अखिल जी से सीखना चाहा, उसे अखिल जी ने ग़ज़ल की बारीक़ियाँ समझाईं और सिखाईं। अखिल जी का जाना वास्तव में साहित्य कुञ्ज और कैनेडा के साहित्य जगत में एक ख़ालीपन छोड़ गया है।
आप सबसे आग्रह है कि आप सभी अखिल जी की ई-पुस्तक को डाउनलोड करें; यह निःशुल्क है।
अगर आपके पास एंड्रॉयड (android) मोबाइल है तो आप गूगल प्ले से निम्नलिखित लिंक से निःशुल्क ऐप्प डाउनलोड करें।
PustakBazaar - Apps on Google Play
और ऐप्प से "रात भर जागने से क्या हासिल" को डाउनलोड करके पुस्तक बाज़ार की "मेरी लाइब्रेरी" में पुस्तक को पढ़ें। ऐप्पल की ऐप्प इन दिनों "review process” में है। यानी एक-दो सप्ताह में वह भी उपलब्ध हो जाएगी।
— सुमन कुमार घई
8 टिप्पणियाँ
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आदरणीय अखिल जी का जाना हम सब को जीवन के अमिट सत्य के सामने ला कर खड़ा कर देने जैसा था। उनके सहज, गंभीर व्यक्तित्व हमारी स्मृतियों में रहेगा और उनकी गज़लों को पढ़ कर हम बहुत कुछ सीखते रहेंगे। वे हमेशा हम लोगों के बीच रहेंगे।
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श्री अखिल भंडारी जी का यूँ स्वर्गवास हो जाना...बहुत ही दु:खी हृदय से उन्हें श्रद्धांजली के पुष्प अर्पण करते हुए यही प्रार्थना करती हूँ कि साहित्य कुंज के अनमोल रत्न अखिल जी को प्रभु अपने चरणों में स्थान दे।
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बेहद दुखद। आपका उनके प्रति स्नेह इस संपादकीय के एक एक शब्द में झलक रहा है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
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सादर श्रद्धांजलि
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बहुत दुःखद समाचार स्वर्गीय अखिल भंडारी बहुत सहज सरल साहित्यकार थे मेरी ग़ज़लों पर उन्होंने इस्लाह दी है बहुत सरल तरीके से बहुत गूढ़ बातें बताते थे ,ऐसे साहित्यकार का यूँ अचानक जाना निःसंदेह कष्टकारक है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वो दिव्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।
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दुखद एवं मार्मिक , Ishwar divangat Atma ko Shanti aur Moksh den मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि
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श्री अखिल भंडारी जी को मैं अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए इतना अवश्य कहना चाहूँगा कि उन जैसे विशाल हृदय इंसान हमेशा आप जैसे सहृदय इंसानों की स्मृति में एक बेशक़ीमती रत्न के रूप में ताउम्र मौजूद रहते हैं। आपका यह संस्मरण इस तथ्य का द्योतक है कि आपने उनकी इच्छा के अनुकूल जो कुछ बन पड़ा, उसे यथाशीघ्र करने में क़तई विलंब नहीं किया। स्वर्गीय भंडारी जी को अपनी पुस्तक को देख कर जो सुख मिला होगा, उसे मैं महसूस कर सकता हूँ। काश, दुनिया में ऐसा मैत्री भाव सभी के दिलों में हो। ईश्वर भंडारी जी को मोक्ष प्रदान करे। ॐ शांति
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अखिल भंडारी जी का चले जाना एक दुखद समाचार। ईश्वर उन्हें आत्मशांति दें। विनम्र श्रद्धांजलि।