सारे ग़म तेरी इनायत है

15-10-2023

सारे ग़म तेरी इनायत है

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

सारे ग़म तेरी इनायत है, 
अपनी हाँ तेरी शायद है। 
 
काग़ज़ क्या हाले दिल बयाँ करते, 
मन की स्याही क़लम से डरते। 
ऑंख की बूँद भी उसकी क़ायल है। 
 
सावन की रुत और दूरी के क़िस्से, 
अब नहीं किसी किताब के हिस्से। 
सत्ता की कहानी भरी ज़ाइद है। 
  
बख़्श उस फ़क़ीर को अपनी दीद, 
कितना वक़्त बिता मनाए ईद। 
तेरी बेरुख़ी से जन्मों का घायल है। 
 
जो मिला उसकी तलब कहाॅं अधीरे को, 
जिसकी आरज़ू कहाॅं पाएगा उस हीरे को। 
ज़िन्दगी यूँ ही कैसे देगी जो बायद है। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
कहानी
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
नज़्म
सांस्कृतिक कथा
चिन्तन
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में