कब से फ़ुर्क़त का समां तारी है

01-09-2023

कब से फ़ुर्क़त का समां तारी है

हेमन्त कुमार शर्मा (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

कब से फ़ुर्क़त का समां तारी है, 
बुझ गई जो उम्मीद शमा बारी है। 
 
मयकदा वीराने में मिला, 
बस्ती में बस इंतज़ारी है। 
 
इस बस्ती की हर गली बोलती है, 
हर दीवार हारी है। 
 
कितना ख़र्चा है घर चलाने में, 
दिन बेचैन रात बेक़रारी है। 
 
दस बीस साल सब्र करो, 
यह काम सरकारी है। 
 
मुख़ालिफ़ की सब कारिस्तानी, 
सियासी बयान जारी है। 
 
जनता, भलाई, किसान, खाद की बात, 
लीडर की नज़र में ज़मीन सारी है। 
  
क़र्ज़ चुकता ना होगा, 
ज़िन्दगी तक उधारी है। 
 
वह आज फिर ख़ाली पेट सो गया, 
मज़दूरी कितनों ने मारी है। 
 
बीस बढ़े बात नहीं, पाँच कम किये, 
यह ख़बर जनहित में जारी है। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
कहानी
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
नज़्म
सांस्कृतिक कथा
चिन्तन
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में